नई दिल्ली। भारत में बुलेट ट्रेन को वास्तविक धरातल पर जाने की दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार इस साल सितंबर में पहला कदम बढ़ा सकती है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर परियोजना के मुंबई में भूमि पूजन और शिलान्यास के दौरान मोदी के साथ जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भी शामिल हो सकते हैं। इस परियोजना की लागत 97,636 करोड़ रुपये आने का अनुमान है।
हिंदू परंपरा के अनुसार निर्माण कार्य शुरू करने से पहले धरती माता के सम्मान और उनके आशीर्वाद के लिए भूमि पूजन किया जाता है।
हालांकि भारत में सभी बड़ी परियोजनाओं में ऐसी परंपरा रही है लेकिन यह पहला मौका होगा जब इस तरह के आयोजन में कोई वैश्विक नेता शिरकत करेंगे।
भूमि पूजन और शिलान्यास कार्यक्रम सितंबर में हो सकता है। हालांकि अभी इसकी तिथि तय नहीं है। LEN-DEN NEWS ने इस परंपरा के बारे में एक पुजारी से बात की, तो उन्होंने कहा कि इमारत आदि बनाने से पहले संगठन के वरिष्ठ सदस्यों या परिवार के मुखिया द्वारा यह अनुष्ठान किया जाता है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार भी इसी भारतीय परंपरा का पालन कर सकती है।
रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने 508 किलोमीटर लंबी इस परियोजना को 2023-24 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। फरवरी 2016 में मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कॉरिडोर परियोजना के विकास के लिए विशेष उद्देश्य वाली कंपनी नैशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लि. का गठन किया था। जापान सरकार ने इस परियोजना की लागत का 81 फीसदी तक कर्ज 0.1 फीसदी सालाना ब्याज पर उपलब्ध कराने की सहमति जताई है।
यह कर्ज 50 वर्षों के लिए दिया जाएगा, जिसमें शुरुआती 15 साल कर्ज पुनर्भुगतान में छूट दी जाएगी। इस परियोजना में 50 फीसदी हिस्सेदारी रेल मंत्रालय और 25-25 फीसदी हिस्सेदारी महाराष्ट्र और गुजरात सरकार की होगी। यह ट्रेन जापानी शिंकेंसेन हाई स्पीड तकननीक पर आधारित होगी। शिंकेंसन जापान में तेज रफ्तार रेल लाइनों का नेटवर्क है और सुरक्षा तथा सुविधा के लिए यह दुनिया भर में जाना जाता है।
रफ्तार बढ़ाने के लिए भारतीय रेल बहुआयामी रणनीति पर काम कर रही है, जिसके तहत हाई स्पीड ट्रेन, सेमी हाई स्पीड ट्रेनों के परिचालन के साथ ही मौजूदा ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने की योजना भी शामिल है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड कॉरिडोर के अलावा, पांच अन्य गलियारों पर भी काम होगा। इन गलियारों में ट्रेनों की रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटे होगी।