- प्रत्येक ओडीआई सबस्क्राइबर से 1,000 डॉलर ‘नियामकीय शुल्क’ वसूलने का प्रस्ताव
- पी-नोट के जरिये निवेश को हतोत्साहित कर एफपीआई पंजीकरण को बढ़ावा देना है मकसद
- सट्टेबाजी के मकसद से डेरिवेटिव में निवेश पर होगी रोक
- इस कदम से बाजार पर मामूली असर पडऩे की आशंका
मुंबई। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पार्टसिपेटरी नोट (पी-नोट) संचालन के नियमन को और सख्त बनाने का आज प्रस्ताव किया। पी-नोट के जरिये विदेशी निवेशकों को भारत में बिना पंजीकरण के ही घरेलू बाजार में निवेश करने की अनुमति होती है।
बाजार नियामक ने अपने परिचर्चा पत्र में वायदा एवं विकल्प (एफऐंडओ) खंड में सटोरिया उद्देश्य के लिए पी-नोट या विदेशी डेरिवेटिव इंस्ट्रूमेंट (ओडीआई) के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने का प्रस्ताव किया है। सेबी ने कहा है कि पी-नोट धारकों को डेरिवेटिव बाजार में केवल हेजिंग मकसद से ही निवेश की अनुमति होगी और सट्टेबाजी के उद्देश्य से निवेश नहीं किया जा सकेगा।
सेबी ने प्रत्येक ओडीआई निवेशक से 1,000 डॉलर (करीब 65,000 रुपये) ‘नियामकीय शुल्क’ वसूलने का प्रस्ताव भी किया है। यह शुल्क विदेेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा जारी पी-नोट पर वसूला जाएगा। सेबी ने परिचर्चा पत्र में कहा है, ‘इस शुल्क को लगाने का मकसद ओडीआई निवेशक को को ओडीआई के जरिये निवेश करने से हतोत्साहित कर उन्हें सीधे एफपीआई के तौर पंजीकृत कराने के लिए प्रोत्साहित करना है।’
पीडब्ल्यूसी में वित्तीय सेवा कर लीडर भवीन शाह ने कहा, ‘यह पी-नोटस के जरिये विदेशी फंडों द्वारा सट्टेबाजी के मकसद से ट्रेडिंग के चलन को कम करना है क्योंकि ऐसे निवेश साधनों में पारदर्शिता अपेक्षाकृत कम होती है। इस कदम से ओडीआई निवेश पर कुछ असर पड़ सकता है। लेकिन कुल डेरिवेटिव निवेश में पी-नोट की हिस्सेदारी कम रहने से बाजार पर इसका ज्यादा असर पड़ने की आशंका नहीं है।’
पिछले महीने के अंत में डेरिवेटिव में पी-नोट का कुल निवेश 40,165 करोड़ रुपये (सांकेतिक मूल्य) था, जो पी-नोट के कुल निवेश का करीब एक-चौथाई था। उद्योग के अनुमान के मुताबिक भारतीय डेरिवेटिव में विदेशी निवेशकों के कुल निवेश का 15 फीसदी पी-नोट के जरिये किया जाता है। यह आंकड़ा कुल एफपीआई निवेश में पी-नोट की हिस्सेदारी से कहीं ज्यादा है। एफपीआई का पी-नोट से निवेश करीब 6 फीसदी है।
सेबी ने कहा कि अगर प्रस्तावित नियमों को लागू किया जाता है तो पी-नोट धारकों को अपनी मौजूदा पोजिशन के निपटान के लिए 31 दिसंबर 2020 तक का समय दिया जाएगा। काले धन के देश में आने की आशंका के मद्देनजर सेबी पिछले कुछ वर्षों से पी-नोट नियमों को सख्त बनाने में जुटा है।
वर्ष 2016 में सेबी ने अपने ग्राहक को जानें जरूरतों को लागू किया था, वहीं पी-नोट के हस्तांतरण पर रोक लगाने तथा पी-नोट जारीकार्ताओं और धारकों के रिपोर्टिंग नियमों को भी सख्त बनाया गया था। लगातार की जा रही सख्ती से विदेशी निवेशकों के बीच पी-नोट का आकर्षण घट रहा है और निवेश साधन के तौर पर 2007 में यह अपने उच्च स्तर 50 फीसदी पर था जो अब घटकर 6 फीसदी पर आ गया है। नियामक ने अपने नए प्रस्तावों पर 12 जून तक प्रतिक्रिया मांगी है।