नई दिल्ली। शीर्ष उपभोक्ता अदालत राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने अपने फैसले से स्पष्ट किया है कि सामान्य जीवनशैली के रोगों के आधार पर बीमा दावों से इनकार नहीं किया जा सकता। आयोग ने एलआईसी इंडिया से एक मृतक के रिश्तेदार को 5 लाख रुपये के भुगतान को कहा है। मृत व्यक्ति को डायबिटीज थी।
एनसीडीआरसी ने पंजाब राज्य आयोग के आदेश को पलटते हुए यह व्यवस्था दी है। साथ ही एलआईसी की चंडीगढ़ शाखा से पंजाब निवासी नीलम चोपड़ा को 45 दिन के भीतर मुआवजा देने का आदेश दिया है। नीलम चोपड़ा के पति डायबिटीज से पीड़ित थे। उन्होंने 2003 में कंपनी से जीवन बीमा लिया था। प्रपोजल फॉर्म भरते हुए उन्होंने अपनी बीमारी के बारे में जिक्र नहीं किया था।
इसके एक साल बाद दिल का दौरा पड़ने से नीलम के पति की मौत हो गर्इ। पति की मौत के बाद जब उन्होंने पॉलिसी का दावा किया तो कंपनी ने इस आधार पर इसे खारिज कर दिया कि मृतक ने जानकारी देते हुए अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी छुपार्इ थीं। इस आधार पर दावा नहीं किया जा सकता।
आयोग ने अपने फैसले में कहा, ‘रोगी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। बीमारी पांच महीने पहले हुई थी। प्रपोजल पर हस्ताक्षर करते समय यह बीमारी नहीं थी। हालांकि, प्रपोजल दाखिल करते हुए यह नियंत्रण में थी। इसके अलावा, डायबिटीज जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारी की जानकारी का खुलासा नहीं करना क्लेम को खारिज करने का आधार नहीं हो सकता।’
हालांकि, आयोग ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यह बात किसी बीमित व्यक्ति को इस तरह के रोगों को छुपाने का अधिकार नहीं देती। बीमित व्यक्ति को इस तरह के मामले में क्लेम का भुगतान घटाया जा सकता है। साथ ही आयोग ने कहा कि पहले से मौजूद बीमारी से संबंधित किसी भी जानकारी को छुपाना अगर मौत का कारण नहीं है या मौत के कारण का कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, तो दावा पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता।