मुंबई। वर्ष 2018-19 में भारत का सफेद सरसों उत्पादन पिछले साल के मुकाबले करीब 17 प्रतिशत उछलकर 70 लाख टन होने के आसार हैं क्योंकि ऊंचे दामों की वजह से किसान बुआई क्षेत्र में विस्तार करने को प्रेरित हो सकते हैं। भारत के एक अग्रणी खाद्य तेल आयातक ने यह जानकारी दी।
इमामी एग्रोटेक के मुख्य कार्याधिकारी सुधाकर देसाई ने कहा कि सफेद सरसों की फसल बढ़कर 70 लाख टन हो सकती है जो पिछले साल की समान अवधि के 60 लाख टन से ज्यादा है। ग्लोबल इंडिया सम्मेलन से इतर बातचीत में देसाई ने कहा कि निर्धारित दामों पर खरीद और खाद्य तेल पर आयात शुल्क बढ़ाते हुए सरकार किसानों की मदद कर रही है।
भारत में सफेद सरसों शीतकाल में बोई जाने वाली प्रमुख तिलहन फसल है। सफेद सरसों उत्पादन में अधिकता से दुनिया के इस सबसे बड़े खाद्य तेल खरीदार को विदेशी खरीद सीमित करने में मदद मिल सकती है। भारत अपनी खाद्य तेल मांग का लगभग दो-तिहाई आयात के जरिये पूरा करता है।
एक साल के दौरान सफेद सरसों के दामों में 10 प्रतिशत से भी अधिक तक उछाल आ चुकी है। घरेलू किसानों की मदद के प्रयास में भारत द्वारा खाद्य तेल आयात पर शुल्क बढ़ाए जाने से ऐसा हुआ है। यह एक दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर है।
भारत प्रमुख रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से पाम ऑयल तथा अर्जेंटीना और ब्राजील से सोया तेल का आयात करता है। यह यूक्रेन से सूरजमुखी का तेल और कनाडा से राई का तेल भी आयात करता है। इमामी एग्रोटेक मुख्य रूप से पूर्वी भारत के उपभोक्ताओं को आपूर्ति करती है।
देसाई ने कहा देश के और अधिक राज्यों में आपूर्ति कराने की कोशिश के तहत कंपनी की योजना पश्चिमी समुद्री तट पर दो रिफाइनरी स्थापित करने की है। उन्होंने कहा कि कंपनी का लक्ष्य अगले दो सालों के दौरान मौजूदा 6,500 टन क्षमता में प्रतिदिन 5,000 टन रिफाइनिंग क्षमता जोडऩा है।
2017-18 में कंपनी का खाद्य तेल आयात 14 लाख टन के आसपास रहेगा जिसमें 11 लाख टन पाम ऑयल भी शामिल है। देसाई ने कहा कि पाम ऑयल के दाम तीन सालों के निचले स्तर के आसपास चल रहे हैं जिससे यह अन्य खाद्य तेलों की अपेक्षा अधिक आकर्षक बन रहा है।
1 नवंबर से शुरू होने वाले अगले विपणन वर्ष में इमामी एग्रोटेक की योजना पाम ऑयल आयात को बढ़ाकर 13 लाख करने और कुल खाद्य तेल आयात को बढ़ाकर 17 लाख टन करने की है। देसाई ने कहा कि चालू विपणन वर्ष में साफ्टा देशों से भारत में करीब 1,00,000 टन खाद्य तेल का आयात होगा और अगर सरकार हस्तक्षेप नहीं करती है तो ऐसा शुल्क मुक्त आयात और बढ़ जाएगा।