मुंबई। बैंक ऑफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के मर्जर के ऐलान के बाद दूसरे सरकारी बैंकों में कंसॉलिडेशन की अटकलें तेज हो गई हैं। इससे बड़े सरकारी बैंकों के शेयर प्राइस पर दबाव बन सकता है, जिनका प्रदर्शन छोटे सरकारी बैंकों से अच्छा है। ऐनालिस्टों का कहना है कि पीएनबी, केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ बैंक मर्जर के अन्य दावेदार हो सकते हैं।
विदेशी ब्रोकरेज कंपनी सीएलएसए ने कहा, ‘कमजोर बैंकों की हालत सुधारने के लिए पब्लिक सेक्टर के बैंकों के बीच कंसॉलिडेशन जरूरी है। अगर मर्जर क्षेत्र विशेष को ध्यान में रखकर किया जाता है तो उससे इसमें मदद मिलेगी। हालांकि, मर्जर और बेलआउट की अटकलों के चलते बड़े और बेहतर सरकारी बैंकों पर प्रेशर बन सकता है।’
सरकार ने तीन बैंकों के मर्जर का प्रस्ताव सोमवार को पेश किया था। इनके मर्जर के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बनेगा। कहा जा रहा है कि इससे बचे हुए 17 सरकारी बैंकों के बीच कंसॉलिडेशन की जमीन भी तैयार होगी।
मैक्वेरी में फाइनैंशल सर्विसेज रिसर्च के हेड सुरेश गणपति ने बताया, ‘3 बैंकों के मर्जर के ऐलान ke बाद पीएनबी, केनरा बैंक और यूनियन बैंक को लेकर चर्चा गर्म हुई है। इनके साथ भी कमजोर बैंकों का मर्जर हो सकता है।’
गणपति ने कहा कि निवेशकों को सरकारी बैंकों से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन बैंकों को फंड की कमी के साथ अब कंसॉलिडेशन की चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा।
एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग में एवीपी, रिसर्च दिगंत हरिया ने बताया कि बड़े सरकारी बैंकों के स्टॉक प्राइस पर प्रेशर बनेगा। उन्होंने बताया, ‘बड़े सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट भी बड़ी है। उनके पास पर्याप्त फंड है और वे नॉन-कोर एसेट्स बेचकर बैलेंस शीट की ताकत भी बढ़ा रहे हैं।’