वॉशिंगटन। नासा ने रविवार को सूर्य के पास जाने वाला पार्कर यान लॉन्च किया। यान की रफ्तार 190 किमी प्रति घंटा है। वह 85 दिन बाद 5 नवंबर को सूर्य की कक्षा में पहुंचेगा। सूर्य की पृथ्वी से दूरी करीब 15 करोड़ किमी है। यान को सूर्य से 61 लाख किमी का फासले पर स्थापित किया जाएगा।
यान को कार्बन फाइबर प्लेट्स से बनाया गया है ताकि वह 1371 डिग्री सेल्सियस का तापमान सह सके। अगले 7 साल तक ये सूर्य के कोरोना के 24 चक्कर लगाएगा। यह अब तक का सूर्य के सबसे पास पहुंचने वाला यान होगा। इससे पहले सूर्य के सबसे करीब से 1976 में हिलियोस-2 नाम का यान गुजरा था।
हालांकि, वो भी सूर्य से करीब 4.3 करोड़ किमी की दूरी से निकला था। हिलियोस के मुकाबले पार्कर सूर्य से 7 गुना ज्यादा करीब रहेगा। शनिवार को हीलियम अलार्म बजने की वजह से लॉन्चिंग टाली गई थी। यान को डेल्टा-4 रॉकेट से केप केनवेरल स्टेशन से भेजा गया। इसका नाम अमेरिकी वैज्ञानिक यूजीन पार्कर के नाम पर रखा गया है। इन्होंने 1958 में पहली बार सौर हवाओं के बारे में बताया था।
यान की स्पीड 190 किमी/सेकंड : नासा का ये स्पेसक्राफ्ट सूर्य तक करीब 7 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से पहुंचेगा। पृथ्वी पर इस रफ्तार से सिर्फ 7 सेकंड में दिल्ली से मुंबई तक की दूरी तय की जा सकती है। नासा इस मिशन में 1.5 अरब डॉलर (करीब 10 हजार करोड़ रुपए) खर्च कर रहा है।
सौर आंधी से सेवाओं पर पड़ने वाले असर को जानेगा: वैज्ञानिक सूर्य से निकलने वाली किरणों और सौर आंधी पर शोध करना चाहते हैं। इसका असर हम पर पड़ता है। कभी टेक्नोलॉजी पर, तो कभी स्पेसक्रॉफ्ट पर। संचार सेवाएं बाधित हो जाती हैं। पावर ग्रिड के काम में रुकावट आती है।
ऐसा क्यों होता है, इस मिशन से इन सवालों के जवाब ढूंढे जाएंगे। सौर हवाएं पृथ्वी से करोड़ों किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से गुजरती हैं और अंतरिक्ष का तापमान बदलने में इनकी अहम भूमिका है। इनके चलते पृथ्वी का तापमान भी प्रभावित होता है।
सूर्य की सतह से कोरोना ज्यादा गर्म क्यों, इससे उठेगा पर्दा : हम आग के पास होते हैं तो गर्मी लगती है। दूर हो जाते हैं तो स्थिति सामान्य हो जाती है, पर सूर्य के साथ ऐसा नहीं है। सूर्य की सतह 10 हजार डिग्री फॉरेनहाइट तक गर्म है। इसका बाहरी एटमॉस्फियर कोरोना का तापमान लाखों डिग्री है। सूर्य की सतह से कोरोना क्यों गर्म है, इस रहस्य से पर्दा उठेगा।