नई दिल्ली। आम आदमी को सस्ता और पुख्ता इलाज मिल सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। सरकार ने पिछले दिनों दिल में लगने वाले स्टेंट्स के रेट फिक्स किए थे। अब 19 मेडिकल डिवाइस के दामों को कंट्रोल करने की दिशा की तरफ कदम बढ़ा लिए हैं।
यही नहीं, लैब टेस्ट और इलाज के दामों पर भी लगाम लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को खत लिखकर अधिकतम और न्यूनतम रेट तय करने के लिए सुझाव मांगे हैं। ऐसे में डिवाइस और टेस्ट के रेट को लेकर चल रही खुली लूट पर भी शिकंजा कस सकेगा।
मेडिकल डिवाइस पर रहेगी नजर
19 मेडिकल डिवाइस के दामों को कंट्रोल करने के लिए नैशनल फार्मासूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने नया आदेश जारी किया है। इसके तहत किसी भी मेडिकल डिवाइस के मैक्सिमम रिटेल प्राइस (MRP) में एक साल में 10% से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हो सकेगी।
एनपीपीए का कहना है कि नए फॉर्मेट के मुताबिक अब हर कंपनी को मार्केट में बेचे जा रहे अपने मेडिकल डिवाइस के बारे में सरकार को सारी जानकारी देनी होगी। मेडिकल डिवाइस असोसिएशंस, मैन्युफैक्चरर्स और इंपोर्टर्स से 31 मई तक सभी 19 मेडिकल डिवाइस का डेटा जमा कराने को कहा गया है।
इसमें कैथटर, हार्ट वॉल्व, ऑर्थोपेडिक इम्प्लांट, इंटरनल प्रॉस्थेटिक रिप्लेसमेंट, इंट्रा ऑक्युलर लेंस, डिस्पोजबल हाइपोडर्मिक नीडल, बोन सीमेंट, सर्जिकल ड्रेसिंग, अम्बिलिकल टेप और स्कैल्प वेन सेट जैसे डिवाइस हैं। सरकार इससे पहले स्टेंट्स की कीमतों में लगाम लगा चुकी है।
इलाज के दाम भी रेडार पर
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को खत लिखकर कहा है कि वह लैब टेस्ट और सभी इलाज के अधिकतम और न्यूनतम रेट सुझाएं। आरोप हैं कि ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के नाम पर मनमाने पैसे वसूले जाते हैं।
ऐसे में सरकार दामों पर लगाम लगाने के लिए रेग्युलेटर भी नियुक्त कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि सरकार तमाम लैब्स और अस्पतालों को सुविधाओं के लिहाज से वर्गीकृत कर उनके रेट तय करना चाहती है।