नई दिल्ली। फॉरेन इन्वेस्टर्स ने मई महीने में भारतीय कैपिटल मार्केट से 29,714 करोड़ रुपए से ज्यादा की निकासी की है, जो पिछले 18 महीने में सबसे ज्यादा आउटफ्लो है। ग्लोबल क्रूड प्राइस में बढ़ोतरी निकासी की मुख्य वजह है। यह अप्रैल महीने में कैपिटल मार्केट (इक्विटी औऱ डेट) से 15,561 करोड़ रुपए की निकासी के बाद हुआ। इसके पहले, फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) ने मार्च महीने में 2,662 करोड़ रुपए निवेश किए थे।
मार्केट से निकाले 29,714 करोड़ रु
डिपॉजिटरी डाटा के मुताबिक, एफपीआई ने अप्रैल महीने में इक्विटीज से 10,060 करोड़ रुपए जबकि डेट मार्केट से 19,654 करोड़ रुपए की निकासी है। इस तरह उन्होंने कुल मिलाकर 29,714 करोड़ रुपए (440 करोड़ डॉलर) बाजार से निकाले हैं।
नवंबर 2016 के बाद सबसे ज्यादा निकासी
नवंबर 2016 के बाद एफपीआई की ओर से बाजार में सबसे ज्यादा निकासी है। नवंबर 2016 में एफपीआई ने मार्केट से 39,396 करोड़ रुपए निकाले थे।
एफपीआई आउटफ्लो की ये है वजह-
क्रूड प्राइस में इजाफा
ग्रो के सीओओ हर्ष जैन का कहना है कि फॉरेन इन्वेस्टर्स द्वारा बाजार से निकासी की मुख्य वजह क्रूड की कीमतों में उछाल है। इससे भारत सहित सभी ऑयल इम्पोर्ट्स इकोनॉमी पर असर पड़ेगा और सीएडी, फिस्कल डेफिसिट, इम्पोर्टेड इंफ्लेशन पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा जो इकोनॉमिक ग्रोथ के लिए हेडविंड बनेगा।
किम जोंग के साथ बैठक रद्द होना
इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा नॉर्थ कोरिया के लीडर किम जोंग उन के साथ बैठक प्लान को रद्द करने से निवेशक चिंतित हुए है। अमेरिका ने ऑटो इम्पोर्ट पर टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इसका भी बाजार पर असर हुआ।
कर्नाटक चुनाव के पहले मुनाफावसूली
वहीं एफपीआई ने कर्नाटक चुनाव से पहले मुनाफावसूली शुरू की, जो 2019 के बड़े चुनाव परिणामों के लिए एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर था। इस साल अभी तक, एफपीआई ने इक्विटी में 2,100 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश किए हैं जबकि डेट मार्केट से 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा निकाले हैं।