बद्रीनाथ। उत्तराखण्ड स्थित चार धाम में एक बद्रीनाथ धाम में विश्वशांति व जनकल्याण के उद्देश्य से झालरिया पीठ के सात दिवसीय पुरुषोत्तम मास महोत्सव की शुरुआत रविवार से हो गई। झालरिया पीठाधीश्वर स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज के तत्वावधान में श्रीधर महोत्सव समिति की ओर से महोत्सव का शुभारंभ भव्य शोभयात्रा से हुआ। कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कोटा से भी श्रद्धालु पहुंचे।
पहले दिन एलन मानधना परिवार के सदस्य यजमान बने। बद्रीनाथ धाम में सुबह करीब 8ः30 बजे भगवान बद्रीविशाल के मंदिर से गाजे-बाजे के साथ शोभयात्रा निकाली गई। इस अवसर पर भक्ति-भाव में श्रद्धालु जमकर झूमे। यजमानों ने श्रीमद् भागवत पुराण को सिर पर धारण किया। शोभायात्रा में महिलाएं व पुरुष पारंपिक वस्त्रों को धारण भजनों की धुन पर चल रहे थे। इस दौरान समूचा बद्रीविशाल धाम नारायणा-नारायणा… के जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
शोभयात्रा में भगवान वेंकटेश की सवारी फूलों से सुसज्जित रथ पर विराजमान थी। झालरिया पीठाधीश्वर स्वामी घनश्यामाचार्य महाराज व युवराज स्वामी भूदेवाचार्य महाराज भी रथ पर सवार रहे। शोभयात्रा में 144 महिलाओं ने सर पर कलश धारण किए। कलश धारण करने वाली महिलाओं के साथ ही झालरिया पीठ की पताकाएं थामे हुए भक्त चल रहे थे। गुरू की महिमा का बखान करते हुए गीत गाए जा रहे थे, भगवान बद्रीविशाल और नारायण के गगनभेदी नारों से पूरा माहौल गूंज रहा था।
शोभयात्रा परमार्थ लोक आश्रम पहुंची। दोपहर दो बजे युवराज स्वामी भूदेवाचार्य महाराज ने व्यास पीठ पर विराजमान होकर अपनी सुमधुर वाणी से भक्ति, ज्ञान व वैराग्यरूपी श्रीमद् भागवत कथामृत की त्रिवेणी प्रवाहित की। उन्होने कहा कि श्रीमद् भागवत महर्षि वेदव्यास द्वारा विरचित है। इसमें भगवान के भक्तों का निर्मल यश चरित्र है, इसलिए इसका नाम श्रीमद् भागवत है। इसके श्रवण से तापत्रय विनष्ट होते हैं।
श्रीमद् भागवत भगवान का वाङ्मय स्वरुप है। अन्य अवतारों में भगवान समय पूरा होने पर क्षीरसागर लौट जाते हैं, लेकिन कृष्णावतार में भगवान लीला संवरण के समय खुद को श्रीमद्भागवत में नित्य स्थापित कर लेते हैं। इसलिए इसका प्रत्येक शब्द अक्षर भगवान श्रीकृष्ण का ही विग्रह है। कथा के मुख्य यजमान कोलकाता निवासी सुदर्शन पùनाभ बगड़िया व रायचूर निवासी बालकिशन रामानुजदास इनानी ने भागवत जी की आरती की।