आखिरी तिमाही में एसबीआई को 7718 करोड़ का घाटा

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नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) को पिछले वित्त वर्ष की चौथी यानी आखिरी तिमाही में कुल 7,718 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। एसबीआई ने आज अपना तिमाही परिणाम घोषित किया। इसके मुताबिक, बैंक की नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) भी वित्त वर्ष 2016-17 के 177866 करोड़ रुपये और 9.11 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2017-18 में 2,23,427 करोड़ रुपये और 10.91 प्रतिशत हो गया है।

फंसे कर्जों की वजह से एसबीआई को पिछले वित्त वर्ष में 66,058 करोड़ रुपये की प्रविजनिंग करनी पड़ी। उसे वित्त वर्ष 2016-17 में 61,266 करोड़ रुपये का प्रावधान करना पड़ा था। एसबीआई ने दिसंबर-मार्च 2018 तिमाही में हुए घाटे की तीन बड़ी वजहें बताईं। उसके मुताबिक, ट्रेडिंग से कम आमदनी और बॉन्ड यील्ड्स के बढ़ने की वजह से मार्केट टु मार्केट में बड़े घाटे ने उसे तिमाही में शुद्ध घाटे की ओर धकेला।

बैंक ने कहा कि इस तिमाही में एनपीए बढ़ने की वजह से प्रविजनिंग भी बढ़ानी पड़ी। साथ ही, वेतन वृद्धि एवं ग्रैच्युटी की सीमा बढ़ने से इन मदों में ज्यादा प्रावधान करने पड़े। बैंक ने बताया है कि पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में ब्याज से हुई कमाई 5.18 प्रतिशत घटकर 19,974 करोड़ रुपये पर आ गई जो वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में 21,056 करोड़ रुपये थी।

बैंक के मुताबिक, उसे विभिन्न शुल्कों से कमाई वित्त वर्ष 2016-17 की चौथी तिमाही के 7,434 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 की चौथी तिमाही में 8,430 करोड़ रुपये हो गया। सालाना आधार पर यह 13.40% की वृद्धि है। बैंक ने बताया कि उन्होंने राइट-ऑफ किए गए लोन में से उसने 21.18 प्रतिशत की रिकवरी हुई है। बैंक ने कहा कि वित्त वर्ष 2017 में 59,461 करोड़ रुपये के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में 0.08% की वृद्धि के साथ उसे 59,511 करोड़ रुपये की ऑपरेटिंग प्रॉफिट रही।