नई दिल्ली। हैकर्स ने एक प्रमुख बिटकॉइन एक्सचेंज फर्म को 20 करोड़ का चूना लगाया है। फर्म के ज्यादातर वॉलिट्स हैक हो गए थे। कुल मिलाकर 440 बिटकॉइन्स की चोरी हुई है। इसे क्रिप्टोकरंसी की चोरी की सबसे बड़ी वारदात कहा जा रहा है।
दिल्ली पुलिस के साइबर सेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस चोरी की पुष्टि करते हुए कहा है कि कॉइनसिक्यॉर नाम की क्रिप्टोकरंसी फर्म ने उन्हें इस चोरी के बारे में बताया। इस संदर्भ में आईपीसी कि विभिन्न धाराओं के साथ-साथ आईटी ऐक्ट की धारा 66 के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
कॉइनसिक्यॉर के देशभर में 2 लाख से ज्यादा यूजर्स हैं। कंपनी ने पुलिस को बताया कि उन्हें इस चोरी के बारे में सोमवार को उस वक्त पता चला जब सभी वॉलिट्स को चेक किया जा रहा है। कंपनी के एक सीनियर सिक्यॉरिटी ऑफिसर को पता चला कि जिन बिटकॉइन्स को ऑफलाइन स्टोर करके रखा गया था, वे सभी गायब हो चुके हैं।
बाद में पता चला कि वॉलिट्स के प्राइवेट कीज यानी पासवर्ड्स- जिन्हें ऑफलाइन स्टोर करके रखा गया था, ऑनलाइन लीक हो चुके थे, जिस वजह से हैकिंग हुई। कंपनी ने हैकर्स का पता लगाने की कोशिश की लेकिन पता चला कि प्रभावित वॉलिट्स के सभी डेटा लॉग्स को उड़ा दिया गया है।
इस तरह हैकर्स ने कोई सुराग नहीं छोड़ा कि बिटकॉइन्स कहां ट्रांसफर किए गए हैं। कंपनी की वेबसाइट तभी से बंद है। गुरुवार रात को कंपनी ने वेबसाइट पर एक मेसेज पोस्ट कर अपने यूजर्स को हैकिंग के बारे में जानकारी दी।
कंपनी के फाउंडर और सीईओ मोहित कालरा ने बताया कि उन्हें शक है कि हैकिंग के पीछे कंपनी के भीतर के ही किसी शख्स का हाथ है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट कीज को कभी ऑनलाइन नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा लगता है कि अपराध को जानबूझकर अंजाम दिया गया है.
पुलिस ने बताया कि कंपनी के सर्वर को सीज कर दिया गया है ताकि किस स्तर पर हैकिंग हुई है, इसका सही-सही पता चल सके। इसकी भी जांच की जा रही है कि क्या और भी वॉलिट्स प्रभावित हुए हैं। कंपनी के सीनियर सिक्यॉरिटी ऑफिशल्स को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
साइबर सिक्यॉरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि कंपनी जिस पासवर्ड को रखती है, उसे कभी भी ऑनलाइन सिस्टम से नहीं जोड़ा जाता है। लेकिन पुलिस को पता चला है कि न सिर्फ पासवर्ड्स ऑनलाइन थे, बल्कि उन्हें 12 घंटे से ज्यादा वक्त तक इस तरह रखा गया।