नई दिल्ली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दो दिन की बैठक के बाद साल 2018 में पहली बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। बुधवार को लिए गए फैसले में फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.25% की बढ़ोतरी की है। इसके चलते अब अमेरिका में ब्याज दरें बढ़कर 1.50 से 1.75 फीसदी हो गई है। इसके साथ ही फेड ने इस साल दो बार और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का अनुमान जताया है।
इकोनॉमी का आउटलुक हुआ बेहतर
फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा कि महंगाई का दवाब धीरे-धीरे बढ़ रहा है और मंहगाई 2 फीसदी के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है, लेकिन इकोनॉमी का आउटलुक बेहतर हुआ है। साथ ही यूएस फेड ने दरें बढ़ाने के साथ जीडीपी अनुमान भी बढ़ाया है। बता दें कि नए यूएस फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल की अध्यक्षता में यह पहली बैठक थी।
2019 में 3 बार बढ़ोतरी का अनुमान जताया
यूएस फेड ने 2019 में दरों का अनुमान 2.7 फीसदी से बढ़ाकर 2.9 फीसदी किया है। अगले साल तीन बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी का अनुमान जताया। उन्होंने कहा कि 2020 तक ब्याज दरें बढ़कर 3.4 फीसदी हो सकती है।
2018 में पहली बार बढ़ी दरें
साल 2018 में पहली बार फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें बढ़ाई हैं। इससे पहले फरवरी में हुई बैठक में ब्याज दरें नहीं बढ़ाई गई थी। 2015 के बाद से यूएस फेड की तरफ से ब्याज दरों में की गई यह छठी बढ़ोतरी है। गौरतलब है कि मंदी के बाद से फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को निम्नतम स्तर पर बनाए रखा था, लेकिन अब इसमें लगातार की जा रही बढ़ोतरी को उस स्थिति से निकलने के तौर पर देखा जा रहा है।
क्यों बढ़ाई ब्याज दरें
फेडरल रिजर्व ने रेट बढ़ाने का फैसला जॉब मार्केट को देखते हुए लिया गया है, जिसके बारे में अच्छी ग्रोथ का अनुमान है। इकोनॉमी में सुधार आ रहा है।
भारतीय मार्केट पर असर नहीं
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट गौरांश शाह का कहना है कि फेडरल रिजर्व की ओर से 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी पहले से ही अपेक्षित थी। इसको लेकर मार्केट पहले ही डिस्काउंट कर चुका है। ऐसे में भारतीय मार्केट पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा।