ED के घेरे में आए 50 से ज्यादा एनआरआई

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मुंबई। नॉन-रेजिडेंट इंडियंस (NRIs) की ओर से किए गए सभी संदिग्ध विदेशी रेमिटेंस और उनके बैंक खातों में अनियमित फंड मूवमेंट पर जांच एजेंसियों की नजर पड़ गई है। बताया जा रहा है कि पिछले दो महीनों में 50 एनआरआई को ईडी ने नोटिस भेजे हैं।

इनमें एनआरआईज से पैसे के स्रोत और रेमिटेंस के ऑरिजिन पॉइंट के बारे में पूछा गया है। कुछ मामलों में उन्हें डायरेक्टरेट के किसी अधिकारी के सामने पेश होने को भी कहा गया है। नोटिस पाने वालों में से कई लोग वर्षों से विदेश में हैं।

हालांकि इस दौरान उन्होंने भारत में प्रॉपर्टीज, फिक्स्ड डिपॉजिट्स, शेयरों और अन्य एसेट्स में निवेश किया है। इस निवेश को समय-समय पर या तो ये लोग भुनाते रहते हैं या बेचते हैं और पैसे को विदेश के अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करते हैं।

हालांकि फंड पर नजर रखने के जांच एजेंसियों के कदम से वाकिफ लोगों के मुताबिक, सभी फंड मूवमेंट पाक-साफ नहीं हैं। ईडी के एक अधिकारी ने बताया, ‘ये मामले ऐसे हैं, जिनमें कमाई के स्रोत का पता नहीं है, स्वीकृत सीमा से ज्यादा रकम भारत भेजी गई है, पैसा लैंड की ट्रेडिंग में गया है।

कुछ मामलों में राउंड ट्रिपिंग का भी शक है।’ उन्होंने कहा, ‘फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट से मिले अलर्ट के आधार पर हम काम कर रहे हैं।’ सरकार की फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट बैंकों और फाइनैंशल इंस्टिट्यूशंस की ओर से दी गई ‘संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट’ से सूचनाएं जुटाती है और उनके आधार पर कदम बढ़ाती है।

एनआरआई भारत में फंड मैनेज करने के लिए तीन-चार तरह के बैंक खातों का उपयोग करते हैं। एनआरओ यानी नॉन-रेजिडेंट ऑर्डिनरी सेविंग्स अकाउंट एक रुपी अकाउंट होता है, जिसका उपयोग इंटरेस्ट, स्टॉक गेंस, डिविडेंड जैसी अर्निंग्स और प्रॉपर्टी बेचने से मिली रकम रखने में होता है।

एक वित्त वर्ष में एनआरओ में अधिकतम 10 लाख डॉलर (लगभग 6.5 करोड़ रुपये) विदेश भेजे जा सकते हैं और इसके साथ एक सेल्फ डिक्लेरेशन देना होता है, जिस पर खाताधारक के दस्तखत होने चाहिए और इसके साथ एक सीए का सर्टिफिकेट होना चाहिए।

वहीं सैलरी, स्टॉक ऑप्शंस से गेंस या दूसरे फंड्स को विदेश से एनआरई यानी नॉन-रेजिडेंट एक्सटर्नल रुपी अकाउंट में भेजा जाता है। एनआरई अकाउंट में पड़ी रकम को बिना किसी शर्त के भारत से बाहर ले जाया जा सकता है। एक सीनियर चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बताया, ‘जिन लोगों ने एनआरओ अकाउंट से पैसा एनआरई अकाउंट में भेजा और फिर उसे बाहर ट्रांसफर किया, उनमें से कुछ को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

कुछ एनआरआई को काफी रकम उनके एनआरओ अकाउंट में कथित तौर पर गिफ्ट के रूप में मिली है। इन पर सवाल उठे हैं क्योंकि कोई रेजिडेंट किसी एनआरआई को साल में अधिकतम 250000 डॉलर (लगभग 1.62 करोड़ रुपये) ही ट्रांसफर कर सकता है।’