पिछले सात महीनों में धनिया एवं लहसुन का निर्यात बढ़ा, जीरा और सौंफ का घटा

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मुम्बई। पर्याप्त स्टॉक तथा प्रतिस्पर्धी मूल्य के बावजूद भारत में जीरा उत्पादों के निर्यात का प्रदर्शन फीका चल रहा है। लेकिन अन्य मसलों के शिपमेंट में अच्छी बढ़ोत्तरी होने के कारण ने केवल इस गिरावट की आसानी से भरपाई हो गई बल्कि मसालों का कुल निर्यात भी बेहतर हो गया छोटी इलायची के निर्यात में जबरदस्त बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।

मसाला बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष के आरंभिक 7 महीनों में यानी अप्रैल-अक्टूबर 2025 के दौरान भारत से मसालों एवं मसाला उत्पादों का कुल निर्यात बढ़कर 10,66,821 टन पर पहुंच गया जो वर्ष 2024 के इन्हीं महीनों के शिपमेंट 9,39,577 टन से 14 प्रतिशत अधिक रहा। इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि तमाम चुनौतियों एवं प्रतिस्पर्धा के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय मसालों की मांग, खपत एवं लोकप्रियता तेजी से बढ़ती जा रही है।

समीक्षाधीन अवधि के दौरान यद्यपि जीरा का निर्यात 1,46,558 टन से 13 प्रतिशत घटकर 1,26,916 टन तथा सौंफ का निर्यात 59,831 टन से 65 प्रतिशत लुढ़ककर 20,850 टन पर अटक गया लेकिन दूसरी ओर, छोटी इलायची का निर्यात 3663 टन से 86 प्रतिशत उछलकर 6827 टन और लहसुन का निर्यात 22,028 टन से 31 प्रतिशत बढ़कर 28,758 टन पर पहुंच गया।

इसके अलावा समीक्षाधीन अवधि के दौरान हल्दी का निर्यात 1,08,830 टन सुधरकर 1,11,117 टन, धनिया का निर्यात 34,365 टन से बढ़कर 37,546 टन अन्य सीड मसालों का शिपमेंट 21,965 टन से बढ़कर 25,796 टन तथा मेथी का निर्यात 25,167 टन से सुधरकर 27,696 टन पर पहुंच गया।

इसके अलावा देश से लालमिर्च, कालीमिर्च, जायफल जावित्री एवं बड़ी इलायची सहित कई अन्य मसालों एवं मसाला तेल, ओलियोरेसिन आदि मसाला उत्पादों का भी अच्छी मात्रा में निर्यात हुआ।

मसालों के संवर्ग में भारत से लालमिर्च का सर्वाधिक निर्यात होता है और इससे सबसे ज्यादा आमदनी भी प्राप्त होती है।