नई दिल्ली। India-Russia summit: भारत-रूस शिखर वार्ता के समापन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने अगले 5 वर्षों में अपने द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक बढ़ाने के उद्देश्य से 2030 तक के लिए रणनीतिक आर्थिक रोडमैप की आज घोषणा की। रूस ने भारतीय निर्यात को बढ़ाने के लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामकीय अड़चनों को दूर करने की प्रतिबद्धता जताई।
दोनों पक्षों ने श्रम गतिशीलता पर भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इससे रूस के निर्माण, इंजीनियरिंग और आईटी क्षेत्रों को अर्ध-कुशल और कुशल भारतीय श्रमिकों की भर्ती करने में मदद मिलेगी।
इसके साथ ही उर्वरक की आपूर्ति, ध्रुवीय क्षेत्रों में भारतीय नाविकों का प्रशिक्षण और शिपबिल्डिंग में संयुक्त सहयोग के लिए भी समझौता किया गया। दोनों पक्षों ने रूस द्वारा समर्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एनपीपी) के लिए भारत में दूसरे स्थल को अंतिम रूप देने पर चर्चा की।
दोनों नेताओं ने भारत-यूरेशियाई आर्थिक संघ मुक्त व्यापार समझौते और द्विपक्षीय निवेश संधि को शीघ्र पूरा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी), उत्तरी समुद्री मार्ग और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारे के माध्यम से दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाने पर भी जोर दिया।
शिखर-स्तरीय वार्ता के बाद अपने संबोधन में मोदी ने भारत-रूस दोस्ती को ‘ध्रुव तारा’ बताया( उन्होंने कहा कि यह दुनिया में आए उतार-चढ़ावों के बावजूद पिछले आठ दशक से अडिग है।
पुतिन ने कहा कि मोदी और वे ‘करीबी कामकाजी संवाद’बनाए रखते हैं और नियमित रूप से फोन पर बातचीत करते हैं। द्विपक्षीय संबंधों पर बारीकी से नजर रखते हैं। पुतिन ने कहा कि पिछले साल भारत-रूस व्यापार 12 फीसदी बढ़कर लगभग 64 अरब डॉलर हो गया और इस साल भी यह स्तर बना हुआ है जिसमें से 96 फीसदी हमारी राष्ट्रीय मुद्राओं में होता है।
पुतिन ने घोषणा की कि भारत की एक फार्मा कंपनी उनके देश के कालुगा क्षेत्र में ट्यूमर-रोधी दवाएं बनाने के लिए कारखाना लगाएगी। बाद में रूसी समाचार एजेंसी इंटरफैक्स ने कहा कि भारत की बीडीआर फार्मास्युटिकल्स, रूस के जेएससी फार्मासिंथेज और कालुगा क्षेत्रीय सरकार ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
रूसी राष्ट्रपति ने कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के शेष रिएक्टरों को पूरा करके परमाणु सहयोग को गहरा करने की बात कही। उन्होंने चिकित्सा और कृषि जैसे गैर-ऊर्जा अनुप्रयोगों में सहयोग का विस्तार करने पर जोर दिया। पुतिन ने भारत को छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर टेक्नॉलजी के साथ सहायता करने की रूस की इच्छा के बारे में भी चर्चा की।
भारत-रूस संयुक्त बयान में भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एनपीपी) के लिए दूसरे स्थल पर आगे की चर्चा के महत्व पर ध्यान दिया गया और भारतीय पक्ष पहले हस्ताक्षरित समझौतों के अनुसार दूसरे स्थल के औपचारिक आवंटन को अंतिम रूप देने का प्रयास करेगा।
भारत-रूस ऊर्जा व्यापार पर रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश भारत की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए तेल, गैस, कोयला और हर चीज का एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता है जिसकी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि रूस तेजी से बढ़ती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए तैयार है।
नई दिल्ली में मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन अमेरिका के भारत पर लगाए गए अतिरिक्त शुल्क और प्रतिबंधों के संदर्भ में हुआ है। सम्मेलन के बाद शाम को जारी संयुक्त बयान में भी इसकी झलक मिली।
इसमें उल्लेख किया गया कि रक्षा सहयोग भारत-रूस संबंधों का एक स्तंभ रहा है, लेकिन दोनों देशों के नेताओं के बीच 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन की प्रेरक शक्ति रूस को भारत के निर्यात को बढ़ाकर औद्योगिक सहयोग को मजबूत कर, नई तकनीकी और निवेश साझेदारी बनाकर, विशेष रूप से उन्नत उच्च-प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते खोजकर द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार करना था।
दोनों देशों के बीच 100 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए शुल्क और गैर-शुल्क व्यापार बाधाओं को तेजी से दूर करने, लॉजिस्टिक्स में अड़चनों को दूर करने, संपर्क को बढ़ावा देने, सुचारू भुगतान तंत्र सुनिश्चित करने और बीमा के मुद्दों के लिए पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान खोजने पर जोर दिया। शाम को पुतिन और मोदी ने एक व्यापार सम्मेलन को भी संबोधित किया, जिसमें दोनों देशों के प्रमुख व्यापारिक नेताओं ने भाग लिया।
मोदी ने दुर्लभ खनिजों में सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में सुरक्षित और विविध आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने रूसी नागरिकों के लिए 30-दिवसीय नि:शुल्क ई-टूरिस्ट वीजा और 30-दिवसीय समूह टूरिस्ट वीजा की भी घोषणा की।
यूक्रेन पर मोदी ने कहा कि भारत ने लगातार शांति की वकालत की है। उन्होंने कहा, ‘हम इस मामले में शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान के लिए सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत हमेशा योगदान करने के लिए तैयार रहा है, और रहेगा।’

