नकदी बढ़ाने के लिए आरबीआई पांच अरब डॉलर का खरीद-बिक्री स्वैप ऑपरेशन करेगा

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नई दिल्ली। आरबीआई बैंकों में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए एक लाख करोड़ के सरकार बॉन्ड को ओपन मार्केट ऑपरेशन्स के जरिए खरीदेगा। यह खरीदारी इस महीने 50 हजार करोड़ की दो किश्तों में की जाएगी। केंद्रीय बैंक का कहना है कि इस खरीदारी से घरेलू बैंकिंग सिस्टम में तरलता बढ़ेगी।

ये नीलामियां क्रमशः

  • ₹50,000 करोड़ की नीलामी 11 दिसंबर को
  • ₹50,000 करोड़ की नीलामी 18 दिसंबर को आयोजित की जाएंगी।

आरबीआई पांच अरब डॉलर का खरीद-बिक्री स्वैप ऑपरेशन करेगा
इसके साथ ही बाजार में नकदी की स्थिति को संतुलित करने और विनियामक स्थिरता बनाए रखने के लिए आरबीआई 16 दिसंबर को 5 अरब डॉलर (USD/INR) का खरीद-बिक्री स्वैप ऑपरेशन करने जा रहा है। यह स्वैप तीन साल की अवधि के लिए होगा।

यह एक विशेष मुद्रा प्रबंधन साधन है, जिसमें दो पक्ष आपस में दो अलग-अलग मुद्राओं के बराबर मूल्य का विनिमय करते हैं, और तय समय बाद इसे उलट दिया जाता है। मुद्रा स्वैप को प्रभावी लिक्विडिटी मैनेजमेंट और जोखिम हेजिंग टूल माना जाता है।

केंद्रीय बैंक ने कहा कि यह कदम वर्तमान वित्तीय परिस्थितियों की समीक्षा के बाद उठाया गया है। स्वैप ऑपरेशन का उद्देश्य दिसंबर महीने में बाजार में तरलता का सुव्यवस्थित नियंत्रण सुनिश्चित करना है। आरबीआई के अनुसार, इस तरह की कार्रवाई से विदेशी मुद्रा और बॉन्ड बाजार में स्थिरता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी।

ओएमओ क्या है?
ओपन मार्केट ऑपरेशन्स वह प्रक्रिया है जिसमें किसी कंपनी या निवेशक द्वारा शेयर या सिक्योरिटीज को सीधे खुले शेयर बाजार के माध्यम से खरीदा या बेचा जाता है। यह लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज (जैसे NSE या BSE) पर होता है।

आरबीआई द्वारा ₹1 लाख करोड़ की ओपन मार्केट ऑपरेशन्स (OMO) खरीदारी करने का मतलब है कि केंद्र सरकार के बॉन्ड (Gsec) को बाजार से खरीदकर बैंकिंग सिस्टम में अधिक पैसा डाला जाएगा। इससे बाजार में लिक्विडिटी यानी कैश की उपलब्धता बढ़ेगी।

कुल मिलाकर इसका असर

  • बैंकों और एनबीएफसी की लोन देने की क्षमता बढ़ती है
  • उधार लेने की लागत घटती है
  • बॉन्ड यील्ड स्थिर रहती है
  • मार्केट में नकदी की कमी नहीं होगी

2025 में अब तक की ओमओ घोषणाएं

  • 27 जनवरी: तीन चरणों में 1,00,000 करोड़ रुपये (30 जनवरी, 13 फरवरी, 20 फरवरी)
  • 5 मार्च: दो चरणों में 1,00,000 करोड़ रुपये (12-18 मार्च)
  • 18 मार्च: एक किश्त में 50,000 करोड़ रुपये (25 मार्च)
  • 1 अप्रैल: 4 किस्तों में 80,000 करोड़ रुपये (3, 8, 22, 29 अप्रैल)
  • 28 अप्रैल: तीन चरणों में 1,25,000 करोड़ रुपये (9, 15, 19 मई)
  • 5 दिसंबर: दो चरणों में 1,00,000 करोड़ रुपये (11 दिसंबर, 18 दिसंबर)