रामपुरा में दो दिगम्बर संत संघों का संगम, श्रावकों ने किया भावपूर्ण स्वागत

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कोटा। रामपुरा में बुधवार प्रातः दिगम्बर जैन संतों के दो संघों का ऐतिहासिक आत्मीय मिलन हुआ। इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में आचार्य प्रज्ञासागर ने कहा कि “जब मैं अपने से बड़ों से मिलता हूँ तो क्षीर में नीर की भांति स्वयं को उनमें समाहित करने का प्रयास करता हूँ, और जब छोटे साधकों से मिलता हूँ तो उन्हें अपने में समाहित कर उन्हें भी अपने जैसा बनाने का प्रयत्न करता हूँ। बड़ों में मिलकर पानी की कीमत बढ़ जाती है और छोटे जब हममें मिलते हैं तो उनका मूल्य भी बढ़ जाता है।

सकल जैन समाज रामपुरा के अध्यक्ष चेतन जैन (रामगढ़) ने बताया कि आचार्य प्रज्ञासागर के 2 दिसंबर के आगमन की स्वीकृति पूर्व में प्राप्त हुई थी। संयोगवश बूंदी से मुनि अनुपम सागर एवं मुनि निर्मोह सागर के आगमन का संदेश भी मिला। ऐसे शुभ अवसर को महोत्सव का रूप देने के लिए संयुक्त संत मिलन का आयोजन किया गया।

महामंत्री निर्मल पोरवाल के अनुसार रामपुरा के ऐतिहासिक पीपल वृक्ष के नीचे मिलन मंच सजाया गया। प्रातः 8 बजे अग्रवाल मंदिर शास्त्री मार्केट से आचार्य संघ तथा रिद्धि–सिद्धि से मुनि संघ विहार करते हुए 8:30 बजे विशाल श्रावक समुदाय की उपस्थिति में पहुँचे, जहाँ दोनों संघों का हृदयस्पर्शी आत्मीय मिलन हुआ। आचार्य श्री द्वारा दोनों मुनियों को गले लगाने का वात्सल्यपूर्ण दृश्य देख श्रावकों के नेत्र सजल हो उठे।

मीडिया प्रभारी राकेश चपलमन ने बताया कि आचार्य के 29 वर्ष बाद रामपुरा आगमन के उपलक्ष्य में 29 दंपत्तियों द्वारा क्रमशः 29 थालों में पाद प्रक्षालन किया गया। आर्यसमाज रोड से होते हुए शोभायात्रा सूरजबाई दिगम्बर जैन छात्रावास धर्मशाला के नवीन परिसर पहुँची। जहाँ यह धर्मसभा में परिवर्तित हुई।

अपने उद्बोधन में मुनि अनुपम सागर ने कहा कि वे पूर्व में भी आचार्य से मिल चुके हैं, पर हर बार मिलने के पश्चात इनके व्यक्तित्व से हमारी निकटता और बढ़ जाती है।उन्होंने कहा कि श्रावकों के आपसी मिलन से व्यक्तिगत प्रसन्नता होती है, परंतु दो साधकों के मिलन से समस्त संसार प्रसन्न होता है।

आचार्य संघ ‘विरासत से मिलो’ कार्यक्रम आज
गुरू आस्था परिवार के अध्यक्ष लोकेश जैन एवं महामंत्री नवीन जैन दौराया ने बताया कि 3 दिसंबर को दोपहर 2 बजे आचार्य संघ ‘विरासत से मिलो’ कार्यक्रम के अंतर्गत जैन कला दीर्घा का अवलोकन करेंगे तथा कारागार में कैदियों को वात्सल्यपूर्ण संबोधन देंगे। उसके उपरान्त देवाशीष सीट की ओर मंगल विहार होगा।