कोटा। आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज संघ का मंगल विहार मंगलवार को सुभाष नगर स्थित पोरवाल भवन से महावीर नगर लाल मंदिर तक संपन्न हुआ। मार्ग में विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं ने गुरुदेव का पादप्रक्षालन कर स्वागत किया।
गुरु आस्था परिवार के अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली ने बताया कि मंदिर परिसर में संध्याकालीन जिनदेशना के दौरान आचार्य प्रज्ञासागर ने अंतराय कर्म के प्रभाव पर विस्तृत प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि अनेक बार जीवन में ऐसा प्रतीत होता है कि कार्य पूर्ण होने के ठीक पूर्व अवरोध उत्पन्न हो जाते हैं। व्यापार, व्यवसाय और दैनिक जीवन में आने वाले ये विघ्न हमारे ही द्वारा पूर्व में किसी के कार्य में बाधा डालने से जुड़े कर्मों का उदय होते हैं।
उन्होंने कहा कि शुभ कार्यों का न तो विरोध करना चाहिए और न ही उनमें किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न करना चाहिए। जो कार्य धर्मार्थ और शुभ भाव से किए जाते हैं, वे अवश्य सिद्ध होते हैं। बीच में लौटते नहीं। अंतराय कर्म का बंध रोकने के लिए दान, लाभ और उपभोग जैसे कार्यों में विघ्न नहीं डालना चाहिए।

