दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार सृजन के अवसर तैयार हो

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कोटा। कोटा-बूंदी दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ सरस डेयरी में 72वें अखिल भारतीय सहकार सप्ताह के उपलक्ष्य में सहकारिता आंदोलन की उपयोगिता, उसके सिद्धांतों तथा ग्रामीण विकास में सहकारी संस्थाओं की भूमिका पर व्यापक विमर्श किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डेयरी अध्यक्ष चैनसिंह ने की।

गोष्ठी का मुख्य उद्देश्य दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के आर्थिक महत्व को रेखांकित करना तथा राज्य एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इन्हें अधिक सुदृढ़ और सक्षम बनाने के उपायों पर चर्चा करना रहा।

अध्यक्ष चैनसिंह राठौड़ ने अपने उद्बोधन में कहा कि केन्द्रीय सहकारी मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तथा राज्य सहकारी मंत्री गौतम कुमार दक एवं डेयरी मंत्री के मार्गदर्शन और निर्देशों के अनुरूप सहकार से समृद्धि के लक्ष्य को साकार करने के लिए प्रत्येक पशुपालक को सहकारी समितियों से जुड़कर लाभांवित होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि समूह व समितियाँ बनाकर उन्हें सहकारिता मिशन से जोड़ना समय की आवश्यकता है। सरस डेयरी समितियों को समय पर भुगतान सुनिश्चित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है।

राठौड़ ने किसानों से आह्वान किया कि वे डेयरी आधारित व्यवसाय को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उत्पादन बढ़ाएँ और सहकारी संरचना को और मजबूत बनाएं। सहकारिता आन्दोलन को विस्तार देने के लिए महिला नई दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों बनाने का निर्देश दिया।

प्रबंध संचालक दिलखुश मीणाा ने कहा कि सहकारी समितियों की सबसे बड़ी शक्ति उनकी सामूहिकता है, जिसके माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने, दुग्ध उत्पादन बढ़ाने और ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार सृजन के नए अवसर तैयार होते हैं। कार्यक्रम में सरस डेयरी के अधिकारी, कार्मिक तथा विभिन्न दुग्ध सहकारी समितियों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।