कोटा। कोटा सहकारी भूमि विकास बैंक की ओर से 14 से 20 नवंबर तक आयोजित 72वें अखिल भारतीय सहकार सप्ताह के दौरान सहकारिता आंदोलन की उपयोगिता, उसके सिद्धांतों तथा ग्रामीण विकास में सहकारी संस्थाओं की भूमिका पर विस्तृत विचार-विमर्श बैंक अध्यक्ष चैनसिंह की अध्यक्षता में किया गया।
सप्ताहभर चले कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश की आर्थिक संरचना में सहकारी समितियों के महत्व को रेखांकित करना और समाज के विभिन्न वर्गों में सहकारिता की भावना को मजबूत करना रहा। इस दौरान उपरजिस्ट्रार सहकारी समिति राजेश मीणा, संचालक डा प्राची दीक्षित, निहाल सिंह राठौड़, जगदीश प्रसाद मीणा, बैंक सचिव व उपरजिस्ट्रार ऋतु सपरा, सहकारिता एवं बैंक के अधिकारी व कर्मचारी शामिल रहे।
वक्ताओं ने सहकार आंदोलन के मूल सिद्धांत आत्म सहायता, आत्मनिर्भरता, लोकतंत्र, समानता, समता और एकजुटता को ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक बताया।
इस अवसर पर भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष चैन सिंह राठौड़ ने कहा कि लघु एवं मध्यम श्रेणी के किसानों को खाद, बीज तथा दीर्घकालीन कृषि ऋण उपलब्ध कराने में सहकारी संस्थाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि ब्लॉक स्तर पर भूमि विकास बैंक किसानों की कृषि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में निरंतर सक्रिय है।
राठौड़ ने कहा कि किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण को नई दिशा देने के लिए राजस्थान सरकार द्वारा घोषित मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एकमुश्त समझौता (ओटीएस) योजना 2025–26 एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम है। यह योजना भूमि विकास बैंकों के अवधिपार ऋणियों को पुनः मुख्यधारा में लाने का असाधारण अवसर प्रदान करती है।
उपरजिस्ट्रार राजेश कुमार मीणा ने कार्यक्रम में इस बात पर विशेष जोर दिया गया कि सहकारी संस्थाएँ किसानों, ग्रामीण श्रमिकों और समुदायों को संगठित कर आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम योगदान दे रही हैं। सहकार सिद्धांतों को अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों तक पहुँचाने पर भी बल दिया गया।
उप रजिस्ट्रार व बैंक सचिव ऋतु सपरा ने कहा कि सहकारी समितियाँ निष्ठा, ईमानदारी और सामाजिक उत्तरदायित्व पर आधारित होती हैं और यही उनकी सबसे बड़ी शक्ति है। इन सिद्धांतों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त होता है।

