भारत में पिछले सीजन के दौरान तुवर का उत्पादन घटकर 33 लाख टन रहा

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नई दिल्ली। भारत में 2023-24 सीजन के दौरान तुवर का कुल उत्पादन घटकर 32-33 लाख टन पर अटक सकता है जो 2024-25 सीजन के उत्पादन 35.60 लाख टन से 7-10 प्रतिशत कम है।

यद्यपि समीक्षाधीन वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर तुवर के बिजाई क्षेत्र में मामूली बढ़ोत्तरी हुई मगर अनेक इलाकों में बाढ़ वर्षा से फसल को काफी नुकसान होने से उत्पादन में गिरावट की आशंका बनी हुई है। उत्पादन घटने की संभावना के बावजूद तुवर का भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है।

वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार शुरूआती चरण के दौरान कर्नाटक एवं महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों के कुछ इलाकों में तुवर की 40-50 प्रतिशत फसल को क्षति पहुंचने की सूचना मिल रही थी लेकिन बाद में फसल की हालत आंशिक रूप से सुधर गई।

इस बार तुवर का कुल क्षेत्रफल 46 लाख हेक्टेयर से कुछ ज्यादा रहा। आधिकारी के अनुसार मौसम की हालत में आए सुधार को देखते हुए तुवर का घरेलू उत्पादन 30 लाख टन से नीचे जाने की कोई संभावना नहीं है। सबसे खराब परिस्थिति में भी उत्पादन इससे अधिक ही होगा।

महाराष्ट्र के विदर्भ संभाग में फसल की हालत सामान्य हो गई है और वहां इसकी औसत उपज दर पूर्व की अपेक्षा बेहतर रहने के आसार हैं। पहले इसमें भारी गिरावट की आशंका व्यक्त की जा रही थी।

उल्लेखनीय है कि अच्छी बिजाई तथा मौसम एवं मानसून की अनुकूल स्थिति को देखते हुए सरकार ने पहले 2025-26 के सीजन में तुवर का घरेलू उत्पादन बढ़कर 37 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया था लेकिन कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं झारखंड सहित कुछ अन्य राज्यों में अधिशेष वर्षा,

खेतों में जल जमाव एवं बाढ़ आदि के कारण बाद में फसल क्षतिग्रस्त हो गई इसलिए अब उत्पादन का अनुमान घटाया जा रहा है। कर्नाटक में फसल अभी प्रगति के चरण में हैं मगर झारखंड में हालत बहुत खराब बताई जा रही है।

कर्नाटक के बीदर एवं कलबुर्गी, महाराष्ट्र के यवतमाल, अमरावती एवं अकोला तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बुंदेलखंड के कुछ जिलों में प्राकृतिक आपदाओं एवं कीड़ों-रोगों के प्रकोप से फसल को नुकसान होने की खबर है जिससे उपज दर और पैदावार में कमी आ सकती है। कर्नाटक में अगले महीने से फसल की कटाई शुरू होने की संभावना है।