कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में रविवार को आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ससंघ का महा पड़गाहन समारोह आयोजित किया गया।
प्रथम बार आयोजित इस ऐतिहासिक आयोजन में 101 दंपतियों ने नवधा भक्ति पूर्वक गुरुदेव का पड़गाहन कर असीम पुण्य का संचय किया।
अध्यक्ष पवन ठौरा एवं महामंत्री पारस लुंग्या ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ जल, चंदन, पुष्प, अक्षत, दीप एवं सम्पूर्ण अर्घ सहित जयमाला अर्घ से गुरुदेव के पूजन के साथ हुआ।
इस अवसर पर प्रज्ञासागर मुनिराज के मंगल प्रवचन एल.बी.एस. कॉलेज, महावीर नगर विस्तार योजना में संपन्न हुए। महावीर नगर महिला मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।
अपने प्रवचन में आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ने कहा कि जैन धर्म भाव प्रधान धर्म है। शरीर से किया गया कार्य नहीं, बल्कि उसे किस भाव से किया गया। यह अधिक महत्त्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि जैसे कोई व्यक्ति आत्महत्या के इरादे से जहर ले तो दोषी ठहराया जाता है, परंतु यदि कोई अनजाने में खा ले तो उसे दंड नहीं मिलता, उसी प्रकार ज्ञात और अज्ञात कर्मों में फल का अंतर होता है।
आचार्य श्री ने कहा कि “हमारे कार्यों की विशुद्धता ही हमारे परिणामों की पवित्रता तय करती है। अतः मन में ‘नो पार्किंग’ का बोर्ड लगाइए, ताकि वहाँ क्रोध, मान, माया और अहंकार की गाड़ियाँ खड़ी न हों। यह स्थान क्षमा, सत्य और सद्गुणों के लिए आरक्षित रहना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि साधु-संतों के सत्संग का वास्तविक प्रभाव तब दिखता है जब हमारे रंग और ढंग दोनों में परिवर्तन आएं। जीवन में विशुद्ध भावों का विकास ही सच्ची साधना का परिचायक है।

