नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीफ कालीन फसल की जोरदार आवक होने तथा पॉल्ट्री फीड एवं एथनॉल निर्माण उद्योग में मांग कमजोर रहने से मक्का का थोक मंडी भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे आ गया है।
इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसकी सरकारी खरीद भी केवल तेलंगाना में हो रही है। मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2024-25 सीजन के 2225 रुपए प्रति क्विंटल से 175 रुपए बढ़ाकर 2025-26 सीजन के लिए 2400 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है लेकिन विभिन्न मंडियों में इसका मॉडल मूल्य 1600 से 2100 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि इस वर्ष खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर मक्का का उत्पादन क्षेत्र तेजी से उछलकर 94.90 लाख हेक्टेयर के सर्वकालीन सर्वौच्च स्तर पर पहुंच गया जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 84.30 लाख हेक्टेयर से 10.60 लाख हेक्टेयर अधिक रहा।
हालांकि अत्यधिक वर्षा खेतों में जल जमाव तथा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से कुछ क्षेत्रों में मक्का की फसल को आरंभिक हानि हुई लेकिन इसके बावजूद कुल उत्पादन बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है।
दूसरी ओर एथनॉल निर्माण उद्योग में इसकी मांग कमजोर देखी जा रही है जबकि यह उद्योग मक्का का प्रमुख खपतकर्ता बन गया है। इसी तरह डिस्टीलर्स ड्राईड ग्रेन्स विद सोल्युबल्स (डीडीजीएस) की अच्छी उपलब्धता के कारण पॉल्ट्री फीड उद्योग में इसकी खपत तेजी से बढ़ने लगी है जिससे वहां साबुत मक्का की मांग कमजोर पड़ गई है।
मक्का की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति आगे भी सुगम बनी रहेगी और यदि जोरदार मांग नहीं निकली तो कीमतों पर दबाव बरकरार रह सकता है। इसका असर रबी सीजन की बिजाई पर पड़ने की संभावना है।
आकर्षक एवं लाभप्रद वापसी हासिल होने की उम्मीद से किसानों ने खरीफ सीजन में मक्का की खेती में जबरदस्त दिलचस्पी दिखाई थी लेकिन यदि उसे बेहतर आमदनी प्राप्त नहीं हुई तो किसानों का उत्साह ठंडा पड़ सकता है।
पिछले साल अक्टूबर के दौरान मक्का का भाव महाराष्ट्र के जालना में 1900-2300 रुपए प्रति क्विंटल तथा सांगली में 2350-2450 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था जो इस बार घटकर काफी नीचे आ गया जालना में इसका मॉडल मूल्य 1400 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।

