ऊंचे भाव के कारण इस बार रबी सीजन में सरसों का रकबा बढ़ने के आसार

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नई दिल्ली। खेतों की मिटटी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद रहने, मौसम की हालत अनुकूल होने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अच्छी बढ़ोत्तरी किए जाने, थोक मंडी भाव आकर्षक स्तर पर रहने तथा रेपसीड मील की खरीद में चाइनीज आयातकों द्वारा भारी दिलचस्पी दिखाए जाने के कारण वर्तमान रबी सीजन के दौरान सरसों का घरेलू उत्पादन क्षेत्र बढ़कर एक नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।

भारतीय किसान इस बार काफी उत्साहित हैं और सरसों की बिजाई में भारी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल- सरसों के बिजाई क्षेत्र एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने से न केवल रेपसीड मील का निर्यात बढ़ेगा बल्कि खाद्य तेलों के आयात में भी कुछ कमी आ सकती है। भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है।

जयपुर के एक अग्रणी एवं प्रतिष्ठित व्यापारी अनिल चतर का कहना है कि किसानों को पिछले उत्पादन की सरसों से आकर्षक आमदनी प्राप्त हुई है और अब भी हो रही है इसलिए इस बार इसकी खेती में उसका उत्साह और भी बढ़ने की उम्मीद है।

पिछले साल की तुलना में चालू रबी सीजन के दौरान सरसों-रेपसीड के बिजाई क्षेत्र में 7-8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है। उल्लेखनीय है कि राजस्थान देश में सरसों का सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर सरसों का बिजाई क्षेत्र इस बार 31 अक्टूबर 2025 तक बढ़कर 41.70 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो पिछले साल की समानवधि के क्षेत्रफल 36.73 लाख हेक्टेयर से 13.5 प्रतिशत अधिक है।

राजस्थान के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा एवं गुजरात तथा पूर्वी एवं पूर्वोत्तर राज्यों में भी सरसों की बिजाई जोर पकड़ने लगी है। पिछले साल सरसों का उत्पादन क्षेत्र 89.30 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था

जो पंचवर्षीय औसत क्षेत्रफल 79 लाख हेक्टेयर से अधिक था। चीन में रेपसीड मील की भारी मांग रहने तथा घरेलू प्रभाग में तेल का भाव ऊंचा होने से क्रशिंग-प्रोसेसिंग इकाइयों में सरसों की जोरदार मांग देखी जा रही है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में यानी अप्रैल-सितम्बर 2025 के दौरान चीन को भारत से 4,88,168 टन रेपसीड मील (खल सरसों) का निर्यात किया गया

जो पिछले वित्त वर्ष की सम्पूर्ण अवधि के शिपमेंट 60,759 टन से कई गुना ज्यादा रहा। आगे भी वहां निर्यात प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद है। सरसों का थोक मंडी भाव भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊंचा चल रहा है।