कोटा। श्री दिगंबर जैन मंदिर धर्मशाला प्रांगण विज्ञान नगर में रविवार को सहस्त्रनाम अभिषेक एवं शांतिधारा के साथ भव्य धार्मिक अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी का पिच्छिका परिवर्तन, चातुर्मास मंगल कलश आवंटन तथा चातुर्मास समापन समारोह का आयोजन श्रद्धा और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ।
विभाश्री माताजी एवं आर्यिका विनयश्री माताजी की नवीन पिच्छी भेट एवं पुरानी पिच्छी प्राप्त करने का सौभाग्य क्रमश: विनोद जैन टोरानी परिवार तथा मनोज जैसवाल परिवार को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर ‘रत्नत्रयवर्धिनी टीका पूर्वार्ध’ पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
कार्यक्रम में भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश जैन, गौरवाध्यक्ष राजमल पाटौदी, चातुर्मास समिति अध्यक्ष विनोद जैन टोरानी, कार्याध्यक्ष मनोज जैसवाल,ताराचंद बडला ने कहा कि कोटा ने पुनः सिद्ध किया है कि यह न केवल शिक्षा की नगरी है बल्कि धर्म और संस्कृति की भी पुण्यभूमि है। इस वर्ष कोटा में एक साथ दो-दो चातुर्मास का सफल आयोजन होना समाज की एकजुटता का प्रमाण है।
विभाश्री माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि “विज्ञान नगर जैन समाज की अखंडता, अनुशासन और धर्म के प्रति आस्था अद्वितीय है। इस चातुर्मास ने इतिहास रचा है। यहां की श्रद्धा और सहभागिता ने हर आयोजन को विराट रूप दिया है।
माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि “मोरपंख की पिच्छी अत्यंत पवित्र और कोमल होती है। यह धूल-मिट्टी को ग्रहण नहीं करती तथा मोर स्वयं अपने पंखों को त्याग देता है, जिससे किसी भी जीव की हिंसा नहीं होती। इसीलिए दिगंबर जैन साधु-साध्वियाँ मोरपिच्छी को धारण करती हैं, जो जीव रक्षा का सर्वोत्तम प्रतीक है।

