विज्ञान नगर दिगम्बर जैन मंदिर में पावापुरी निर्माण रचना बनी आस्था का केंद्र

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में गणिनी प्रमुख आर्यिका विभाश्री माताजी ने शनिवार को कहा कि संसार में सबसे बड़ा धर्म अहिंसा धर्म है। हिंसा से सभी दुखी होते हैं और अहिंसा से सभी सुखी। उन्होंने कहा कि जीवन में संयम, साधना और सदाचार के बिना शांति की प्राप्ति संभव नहीं है।

माताजी ने कहा कि दीपावली का पर्व आत्मा के जागरण का प्रतीक है। जैसे अंधकार को मिटाने के लिए दीप जलाया जाता है, वैसे ही आत्मा के अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान रूपी दीपक जलाना चाहिए।

चातुर्मास समिति के महामंत्री विनोद टोरड़ी ने बताया कि भगवान महावीर निर्माण स्थल पावापुरी की कृत्रिम रचना अत्यंत भव्यता के साथ बनाई जा रही है। इसमें पद्म सरोवर के मध्य दीपावली के पावन अवसर पर प्रातःकाल निर्माण लड्डू चढ़ाया जाएगा। इसका लोकार्पण 19 अक्टूबर को प्रातः 8 बजे मनोज माणकचंद सराफ द्वारा किया जाएगा।

तत्पश्चात चातुर्मास में विशेष सहयोग देने वाले कार्यकर्ताओं का सम्मान समारोह आयोजित होगा। आज पूज्य मुनि चिन्मयसागर जी महाराज की समाधि दिवस पर विनयांजलि सभा आयोजित की गई, जिसमें राजमल पाटौदी, विमल जैन, नाता प्रकाश बज, पदम बडला, अनिल ठौरा, मनोज जैसवाल, विनोद टोरड़ी, रितेश सेठी, संजय निर्माण सहित अनेक श्रद्धालुओं ने अपनी विनयांजलि प्रस्तुत की।

“दीपक सजाओ प्रतियोगिता” में 23 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को दीपावली के अवसर पर सम्मानित किया जाएगा।“तत्वार्थ सूत्र कक्षा” के अंतर्गत आज सातवें अध्याय की परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें सभी प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। तत्वार्थ सूत्र पाठन करने वाले सभी साधकों को धनतेरस के पावन अवसर पर राजेश-सोनल सेठिया द्वारा सम्मानित किया जाएगा।