दशहरा मेले में देर रात तक चले साहस, शौर्य, व्यंग्य के बाण, श्रृंगार ने भी खूब भिगोया
कोटा। राष्ट्रीय दशहरा मेला में रविवार को विजयश्री रंगमंच पर राजस्थानी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने कविता पाठ के द्वारा श्रोताओं को काव्य रस में डुबो दिया। कवियों ने ठेठ देसी भाषा में कविताएं पढ़ीं तो श्रौता देर रात तक काव्य रस में भीगते रहे।
कवि सम्मेलन की शुरुआत सांगोद प्रधान जयवीर सिंह अमृतकुआं, मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, चीफ फायर ऑफिसर राकेश व्यास, समिति सदस्य विजय लक्ष्मी प्रजापति, रामबाबू सोनी, राकेश पुटरा ने दीप प्रज्ज्वलित कर की। अध्यक्षता गोरस प्रचंड ने की।
कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए कवि भूपेंद्र राठौर ने “अब भारत के बेटे मिलकर ऐसा फाग मनाएंगे, लाहौर कराची रावलपिंडी केसरिया हो जाएंगे, जो भूमि है खंड खंड वो एक-एक कर जोड़ेंगे, भारत मां को गाली दी तो घर में घुसकर फोड़ेंगे..” गाकर भारत की वीरता, पराक्रम और शौर्य को गाया। इससे पहले सरस्वती वंदना करते हुए अदिति ने “तेरे सागर से मोती चुने शब्द के गीत की मालिका मैं सजाने लगी..” गाकर मां शारदे की आराधना की।
रामावतार धाकड़ ने “स्वामी भक्ति का चेतक पर चढ़ा ऐसा खुमार था, चेतक पर राणा नहीं, राणा पर चेतक सवार था..” गाकर महाराणा प्रताप की वीरता का वर्णन किया। कवि राजेंद्र गौड़ ने “सिंदूर मिटाने वालों को सिंदूर मिटा कर चला गया, एक रात में पाकिस्तानी दंभ गला कर चला गया, जो दांत पीसते गुर्राते थे, सबके छक्के छुड़ा दिए, तीन मिनट में जैश मोहम्मद के सब अड्डे उड़ा दिए..” गाकर ऑपरेशन सिंदूर की महिमा का बखान किया।
कवि नयन शर्मा ने “जो भी मिलता हो मिल जाए, फिर आन मिले या शान मिले, उत्थान मिले या पतन मिले, जीवन में स्वाभिमान मिले, यह जीवन पूरा हो जावे तो फिर एक जीवन दान मिले, हर एक जन्म में रहने को केवल हिंदुस्तान मिले.. गाया तो भारत माता के जयकारे गूंज उठे।
कवि नरेश निर्भीक ने “भारत पर होने वाला हर हमला हमने रोक दिया, परमाणु बम वाले देश को घर में घुसकर ठोक दिया, दहशतगर्दी के आकाओं को अंदर से हिला दिया, तीन-तीन देशों के यानों को मिट्टी में मिला दिया.. के द्वारा भारत की पाकिस्तान पर जीत को दर्शाया तो हर कोई वाह वाह कह उठा। मुरलीधर गौड़ ने “सुण सुण ले रे आतंकवादी, काला मूंडा का जेहादी, निर्दोष्यां की हत्या कर तू सपना देखे हूर का, लै अब मजा चाख लै बैरी, चुटकी भर सिन्दूर का।
परमानंद दाधीच ने “गाथाएं कारगिल की हो या कश्मीर घाटी की, वीर सदा ही होती है यह माटी हल्दीघाटी की..” गया। इसके बाद वरिष्ठ कवि गौरस प्रचंड ने राजस्थानी गीत “वां मौज- भाण रिया शासन मं, पकवान परोसे भाषण मं, आधा गड रिया छ गारा मं, आधा छ पौ बारा मं.. गाकर दाद लूटी।
रूपनारायण शर्मा संजय ने “जय बोलो राजस्थान की जय बोलो हाडोती गान की.. गाया। बंटी सुमन ने लाड़ी क साथ गाड़ी भी जरूरी छ, गाड़ी का बना तो लाड़िया अधूरी छ..गाकर तालियां बटोरी। युवा व्यंग्यकार नहुष व्यास ने “सुन मां जो तुझे पाने के खातिर दर-दर भटकी.. गाकर माता की महिमा का बखान किया। जगदीश भारती ने हाडोती भाषा के मुक्तक गाते हुए गौ माता की दुर्दशा का वर्णन किया। सुरेश वैष्णव ने हास्य कविताओं से सराबोर कर दिया।
इस दौरान राजेंद्र कुमार, घासीलाल, चंपालाल रावल, मदन महादेव, मुरलीधर गौड, भेरूलाल भास्कर, रामकरण प्रभाती, एकता शर्मा, चौथमल प्रजापति, रघुराज सिंह, सत्यनारायण शर्मा, बंटी सुमन, परमानंद दाधीच, रतनलाल वर्मा, राजेंद्र गौड़, जगदीश भारती, विनोद संगम जैन, नहुष व्यास, अभिषेक तिवारी, सुरेश वैष्णव, सुरेंद्र श्रृंगी, रामावतार नागर, नरेश निर्भीक, नेहा कौशिक, कीदांश मीना कौशिक, विद्यासागर, मनदीप सिंह, महावीर जंगम, रतनलाल वर्मा, जगदीश झालावाड़ी, गौरस प्रचंड, रामकुमार वैष्णव, सुरेश पंडित, प्रशांत, अदिति शर्मा, रामविलास, प्रतिष्ठा पारीक, रूपनारायण, नयन शर्मा, गिरजेश वैष्णव, महेंद्र गुर्जर राम सिंह, दिनेश खोया पाया काव्य पाठ किया।

