कोटा। 132वें राष्ट्रीय मेला दशहरा का विजयश्री रंगमंच बुधवार को देश के ख्यातनाम कवियों की कविताओं से गूंज उठा। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में देर रात तक ओज, वीर, श्रृंगार रस के साथ हास्य रस की फुहारें श्रोताओं को भिगोती रहीं।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की शुरुआत शिक्षा मंत्री मदन दिलावर, विधायक संदीप शर्मा, पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा, भाजपा नेता पंकज मेहता, बड़े सत्यनारायण मंदिर कैथूनी पोल के महंत पं. गोविंद शर्मा, पूर्व भाजपा शहर जिला अध्यक्ष कृष्ण मुरारी सोनी, कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन, मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी, एडीएम सिटी अनिल सिंघल, मेला अधिकारी अशोक त्यागी, अतिरिक्त मेला अधिकारी महेश गोयल, मेला समिति सदस्य सोनू धाकड़, विजयलक्ष्मी, सुमित्रा खींची ने दीप प्रज्ज्वलन कर की।
अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में विजयश्री रंगमंच से शशिकांत यादव, राम भदावर, अर्जुन सिसोदिया ने वीर रस से ओतप्रोत ओजस्वी काव्य पाठ किया। वहीं पद्मश्री व्यंग्यकार अशोक चक्रधर, प्रताप फौजदार, शंभू शिखर हास्य रस से हंसाकर लोटपोट कर दिया।
राजस्थानी भाषा के साहित्यकार और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता अतुल कनक ने भी काव्य पाठ किया। साथ ही, कवयित्री सपना सोनी और डॉ. शुभम त्यागी प्रेम, करुणा और श्रृंगार से भरपूर कविताओ, गीत और गजल ने भी देर रात तक तालियां बटोरीं। संचलन शशिकांत यादव ने किया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत कवयित्री सपना सोनी ने “शारदे वंदन है शत बार, हाथ जोड़कर विनती करने आई तेरे द्वार..से की। उन्होंने “काया काशी सी बनी, मन वृंदावन धाम, निज नयनों में बसे रहे, खाटू वाले श्याम..” गाकर बाबा खाटू श्याम की वंदना की।
अतुल कनक ने “हम चंबल के बेटे हैं, हम जब अपनी पर आते हैं, स्वयं मौत के दूत हमारी आहट से थर्राते हैं.. गाकर हाड़ौती की वीर गाथा का बखान किया। शशिकांत यादव ने राम की महिमा गाते हुए “रोम रोम में बसे हैं मेरे प्रभु सीताराम…” गाया। उन्होंने “तोला से मन भर तोला है, पारा पानी में घोला है, सब कीड़े बाहर निकले हैं, चुटकी भर तो सच बोला है.. गाकर वाहवाही लूटी।
शंभू शिखर ने “मोदी से मिलो तो तुम्हें भिखारी ना कर दे, राहुल तुम्हें पदयात्री सवारी न कर दे, उत्तर प्रदेश आना ट्रंप सोच समझकर, योगी जी तुम्हें ट्रंप से तिवारी न कर दे… गाकर हास्य रस की फुहारें छोड़ी।
कवयित्री डॉ. शुभम त्यागी ने गीत और गजल गाकर लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर किया। उन्होंने “कोई नगमा गुनगुनाना अच्छा लगा, तेरा रूठना मनाना अच्छा लगा, हम तो चले आए तेरी एक मुस्कुराहट पर, तेरे शहर में आना अच्छा लगा.. गाया।
प्रताप फौजदार ने “जाने कितने राज छिपे हैं, दीवारों के कानों में, दुनिया भर की खबरें आती, अखबारों के कानों में, दीपक मेरा अंश लड़ेगा, जमकर काली रातों से, सूरज कहकर डूब गया गया है.. से वाहवाही लूटी।
राम भदावर ने “यदि राजस्थान नहीं होता तो गौरव गान नहीं होता, यदि राजस्थान नहीं होता तो हिंदुस्तान नहीं होता..” के द्वारा राजस्थानी वीरता और गौरव गाथा का वर्णन किया। उन्होंने सनातनी परंपरा से ओतप्रोत कविताएं सुनाई तो भारत माता के जयकारे गूंज उठे।
डॉ. अर्जुन सिसोदिया ने “डेढ अरब बेटों की ताकत सब दुनिया पर भारी होगी, हमको विश्व गुरु कहने की, दुनिया की लाचारी होगी, पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण भारत की सरदारी होगी, कान खोलकर सुन अमरीका अब यह सदी हमारी होगी.. गाकर भारत की वंदना करते हुए राष्ट्र की ताकत दिखाई।

