कोटा। शरद पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रज्ञालोक महावीर नगर प्रथम में आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज के सानिध्य में विद्यासागर महाराज एवं गणिका आर्यिका ज्ञानमति माताजी का जन्म महोत्सव भव्य रूप से मनाया गया।
गुरूदेव प्रज्ञासागर ने विद्यासागर महाराज के जीवन से उनकी विराट शख्सियत का परिचय दिया और उनके उच्च आचारणों एवं जीवन मूल्यों की उपमाओं से उपस्थित श्रद्धालुओं को लाभान्वित किया।
कार्यक्रम के संयोजक यतिश जैन खेडावाला और प्रचार सचिव शैलेन्द्र जैन ने बताया कि महोत्सव में गुरूदेव प्रज्ञासागर जी द्वारा अभिमंत्रित दूध से 8 वर्ष से 45 वर्ष तक के बालकों को अनार की सलाका लकड़ी के माध्यम से जिह्वा पर मंत्रोच्चारण कर मिश्री मिश्रित दूध पिलाया गया। इसके साथ ही शरद पूर्णिमा के विशेष मंत्रो अनुष्ठान का आयोजन भी किया गया।
गुरूदेव प्रज्ञासागर ने अपने प्रवचन में कहा कि मंत्रों के माध्यम से दूध अमृत में परिवर्तित होता है। माताओं ने बच्चों के हाथों में दूध लेकर उन्हें अमृतपान कराया और जिह्वा पर बीज मंत्रों की स्थापना कर विधिपूर्वक सरस्वती पूजन सम्पन्न कराया गया। गुरूदेव ने आगे कहा कि जो मंत्र हमारे मन को नियंत्रित कर सके, वही सच्चा मंत्र है। उन्होंने यह भी बताया कि णमोकार मंत्र का सही अनुकरण जीवन में प्रगति के मार्ग खोलता है। मंत्रों का सही पालन न केवल जीवन को उज्ज्वल बनाता है, बल्कि ज्ञान की दिशा में अग्रणी भी बनाता है।
इस अवसर पर महामंत्री नवीन दौरया, कोषाध्यक्ष अजय जैन खटकीडा, अजय जैन, दीपक आगम, राजीव पाटनी, मिलाप अजमेरा, त्रिलोक जैन, शम्भू जैन, गुलाबचंद लुहाड़िया, विकास मजीतिया, नीलेश खटकिड़ा, योगेश सिंघम, संजय खटकिड़ा, लोकेश दमदमा, आशीष जैसवाल, अजय मेहरू, संजीव जैन, विनय शाह, नितेश बडजातिया, अजय खटकिड़ा, नवीन बाबरिया, विनोद जैन सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित होकर इस धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन के साक्षी बने।

