नई दिल्ली। 2025-26 के रबी सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं के बिजाई क्षेत्र में 2 से 4 प्रतिशत तक का इजाफा होने का भरोसा है, लेकिन प्रमुख उत्पादक राज्यों में खेतों में पानी जमा होने, नमी का जरुरत से ज्यादा अंश मौजूद रहने तथा खरीफ फसलों की कटाई-तैयारी में विलम्ब होने से गेहूं की अगैती खेती करने में किसानों को कठिनाई होगी और यदि बिजाई की प्रक्रिया देर से शुरू हुई तो औसत उपज दर पर असर पड़ सकता है।
थोक मंदी भाव ऊंचा रहने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोत्तरी होने, खरीद की निश्चित गारंटी होने तथा बांधों-जलाशयों में पानी का पर्याप्त स्टॉक मौजूद रहने से किसानों को इस बार गेहूं का बिजाई क्षेत्र बढाने का अच्छा प्रोत्साहन मिल सकता है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि खरीफ फसलों की कटाई-तैयारी एवं रबी फसलों की बिजाई में देर ही तो फरवरी-मार्च 2026 की गर्मी का प्रकोप गेहूं की फसल को झेलना पड़ सकता है। इससे उपज दर प्रभावित हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों से विशाल मात्रा में गेहूं की खरीद की जाती है जबकि मध्य प्रदेश एवं राजस्थान जैसे राज्यों में गेहूं उत्पादकों को अतिरिक्त बोनस भी दिया जाता है। इससे गेहूं के क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा सकती है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की भारी वर्षा होने से खेतों की मिट्टी में नमी का पर्याप्त अंश मौजूद रहेगा जिससे किसानों को गेहूं की बिजाई में कोई समस्या नहीं होगी। पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान जैसे प्रान्तों में बाढ़ के कारण कई क्षेत्रों में खेतों में रेट आदि भर गयी है जिसे हटाने की प्रक्रिया जारी है।
2023-24 सीजन के दौरान गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया था जिसे 2024-25 के रबी सीजन हेतु 150 रुपए बढ़ाकर 2425 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया गया। 2025-26 के मौजूदा रबी सीजन में भी एमएसपी में अच्छी बढ़ोत्तरी होने के संकेत मिल रहे हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल से इसकी स्वीकृति मिल चुकी है। समीक्षकों के अनुसार मध्य प्रदेश, गुजरात एवं राजस्थान जैसे प्रान्तों में इस बार गेहूं का उत्पादन क्षेत्र बढ़ने की अच्छी सम्भावना है।

