नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य औसत से करीब 8 प्रतिशत अधिक मानसूनी वर्षा होने तथा बाजार भाव ऊंचा रहने से किसानों को आगामी रबी सीजन के दौरान तीनों प्रमुख जिंसों- गेहूं, चना एवं सरसों का बिजाई बढ़ाने का अच्छा प्रोत्साहन मिल सकता है।
इसके अलावा सरकार द्वारा शीघ्र ही रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाने की संभावना है जो किसानों के लिए एक अतिरिक्त आकर्षक होगा। उल्लेखनीय है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा उसकी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों द्वारा प्रति वर्ष किसानों से विशाल मात्रा में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केन्द्रीय पूल के लिए गेहूं खरीदा जाता है।
इसके साथ-साथ जब बाजार भाव घटकर एमएसपी से नीचे आता है तब चना एवं सरसों की खरीद भी बड़े पैमाने पर की जाती है। खरीफ कालीन दलहन-तिलहन फसलों का क्षेत्रफल उत्साहवर्धक नहीं रहा और इसे कुछ प्राकृतिक आपदाओं का सामना भी करना पड़ रहा है इसलिए उत्पादन में इजाफा होना मुश्किल लगता है।
अब सबका ध्यान रबी सीजन पर केन्द्रित है। सरकार उसकी पैदावार बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठाने का संकेत पहले ही दे चुकी है। पिछले रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन तो उछलकर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने लगाया है लेकिन चना और सरसों की पैदावार अपेक्षित स्तर तक नहीं पहुंच सकी।
घरेलू बाजार भाव में जबरदस्त तेजी आने के बाद सरकार ने मई 2024 में चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति प्रदान कर दी जबकि उससे पूर्व इस पर 66 प्रतिशत का भारी भरकम सीमा शुल्क लागू था।
विदेशों से रिकॉर्ड मात्रा में चना तथा पीली मटर का आयात होने से इसकी कीमतों में नरमी आ गई। जहां तक सरसों का सवाल है तो इसका दाम अब भी एमएसपी से काफी ऊपर चल रहा है।

