जिस घर कन्या का जन्म होता है, वहां से नकारात्मकता चली जाती है: बालयोगी

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गीता भवन में श्रीमद्भागवत कथा की पूर्णाहुति आज

कोटा। कार्ष्णि सेवा समिति की ओर से गीता भवन पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन शनिवार को कथाव्यास राष्ट्रीय संत कार्ष्णि ब्रह्मानंद बालयोगी महाराज ने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन किया। इस दौरान छप्पन भोग की झांकी सजाई गई। यजमान गीता देवी मूंदड़ा और कमल माहेश्वरी ने भागवत पूजन कर कथा का शुभारम्भ कराया।

इस दौरान बालयोगी महाराज ने कहा कि भगवान ने मिट्टी खाकर अपने मातृभूमि के महत्व को बताया था। उन्होंने कहा कि जहां गौ सेवा होती है, वहां गोपाल आवश्यक होते हैं। पूतना वध के प्रसंग का वर्णन करते हुए कथा व्यास बालयोगी महाराज ने कहा कि जो कन्या भ्रूण हत्या करते हैं, वे नर नारी पूतना के समान ही हैं।

यदि लड़कियां नहीं होंगी तो सृष्टि का अंत हो जाएगा। जिस घर में कन्या का जन्म होता है, वह सौभाग्यशाली होते हैं। उस घर से नकारात्मकता चली जाती है। भारत में कन्या को शक्तिस्वरूपा मानकर पूजा गया है।

बालयोगी महाराज ने कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी अपने धर्म, अपने भगवान को नहीं मानते हैं। लेकिन तुम अपने धर्म को जानना चाहते हो तो पहले अपने धर्म को जानने के लिए गीता, भागवत, रामायण पढ़ो तो, तुम नहीं तुम्हारी आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी हो जाएगी।

इस दौरान “अंत समय में आना पड़ेगा… अंत में निकला यह परिणाम, राम से बड़ा राम का नाम…” सरीखे भजनों पर भक्त झूमते रहे। वहीं बांके बिहारी के जयकारों से भवन गुंजायमान होता रहा। कार्ष्णि सेवा समिति के प्रवक्ता लीलाधर मेहता ने बताया कि रविवार को कथा की पूर्णाहुति होगी।