नई दिल्ली। मैं भारत के प्रधानमंत्री के बहुत करीब हूं। मैंने 17 सितंबर को उनसे बात करके उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं।… 18 सिंतबर को लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीअर स्टॉर्मर के आवास चेकर्स पर जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गई अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बात भारत में हेडलाइन्स बनी।
टैरिफ और रूस से कच्चा तेल खरीदने पर पेनाल्टी टैरिफ लगाने के अपने फैसले के कुछ दिन बाद ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को महान नेता बताया था। दोस्ती की बात दोहराई। पीएम मोदी भी ‘दोस्त’ ट्रंप के बयानों पर गर्मजोशी से जवाब देते रहे।
इन बयानों से लगा कि भारत अमेरिका का रिश्ता अब पटरी पर आने लगा है। ट्रंप बातें अच्छी करते रहे, लेकिन भारत को झटका पर झटका देते रहे। पहले टैरिफ, पेनाल्टी टैरिफ,चाबहार पोर्ट को लेकर बंदिश और अब H1 वीजा से भारतीयों के पेट पर लात मारी है।
H1 वीजा से भारतीयों के पेट पर लात मारी
H1 वीजा को लेकर ट्रंप का नया फैसला अमेरिका में काम कर रहे भारतीय टेक्नोलॉजी पेशेवरों और बड़ी कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है। राष्ट्रपति ट्रंप ने एच-1बी वीजा प्रोग्राम में बड़े बदलाव करने के लिए एक घोषणा पत्र पर साइन किए हैं। इसके मुताबिक अनुसार, अब हरेक आवेदन के लिए प्रति वर्ष 1,00,000 डॉलर का शुल्क देना होगा। ट्रंप का कहना है कि इसका मकसद विदेशी कामगारों के बजाय अमेरिकी लोगों को नौकरी देना है। व्हाइट हाउस में आदेश पर हस्ताक्षर करते हुए ट्रंप ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि हमारी नौकरियां हमारे नागरिकों को मिलें। हमें अच्छे कामगार चाहिए और यह कदम उसी दिशा में है।’
भारतीय कामगारों से कंपनियां हाथ खींच लेंगी
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लूटनिक ने भी इस फैसले का बचाव किया। उन्होंने कहा कि अब बड़ी कंपनियां विदेशी लोगों को सस्ते में काम पर नहीं रखेंगी, क्योंकि पहले सरकार को 1 लाख डॉलर देने होंगे और फिर कर्मचारी को वेतन देना होगा। तो, यह आर्थिक रूप से ठीक नहीं है। आप किसी को प्रशिक्षित करेंगे। आप हमारे देश के किसी अच्छी यूनिवर्सिटी से हाल ही में ग्रेजुएट हुए किसी व्यक्ति को प्रशिक्षित करेंगे, अमेरिकियों को प्रशिक्षित करेंगे। हमारी नौकरियां छीनने के लिए लोगों को लाना बंद करें। यही यहां की नीति है।
नए नियम के अनुसार, एच-1बी वीजा अधिकतम छह साल के लिए ही मान्य रहेगा, चाहे नया आवेदन हो या रिन्यू। आदेश में कहा गया है कि इस वीजा का गलत इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे अमेरिकी कामगारों को नुकसान हो रहा था और यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था व सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है।
अमेरिकी बंदिश से भारत पर असर
ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि ईरान के चाबहार बंदरगाह का संचालन करने वाले व्यक्तियों पर इस महीने के अंत से अमेरिकी प्रतिबंध लागू होंगे। इस फैसले का असर भारत पर भी पड़ेगा जो इस रणनीतिक बंदरगाह के विकास में शामिल है। चाबहार बंदरगाह ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में ओमान की खाड़ी पर स्थित है। भारत और ईरान इसे व्यापार एवं संपर्क बढ़ाने के लिए विकसित कर रहे हैं। भारत ने 13 मई, 2024 को चाबहार बंदरगाह के संचालन के लिए ईरान के साथ 10 साल का करार किया था। यह पहली बार था जब भारत ने किसी विदेशी बंदरगाह का प्रबंधन संभालने की पहल की थी।

