नई दिल्ली। 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन में सरकारी एजेंसियों द्वारा 4892 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर रिकॉर्ड मात्रा में सोयाबीन की खरीद किए जाने के बावजूद 2025-26 के खरीफ सीजन में इस महत्वपूर्ण तिलहन के बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आ गई।
दरअसल रिकॉर्ड सरकारी खरीद के बाद भी सोयाबीन का थोक मंडी भाव सरकारी समर्थन मूल्य से 10-15 प्रतिशत नीचे रहा और इसलिए किसानों को आकर्षक वापसी हासिल नहीं हो सकी जिससे तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान में सोयाबीन की बिजाई में उसकी दिलचस्पी घट गई। इस बार सोयाबीन के साथ-साथ तिल के रकबे में भी कमी आ गई।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार मौजूदा वर्ष के दौरान 12 सितम्बर 2025 तक खरीफ कालीन तिलहन फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 188.81 लाख हेक्टेयर पर ही पहुंच सका जो गत वर्ष की समान अवधि के बिजाई क्षेत्र 193.93 लाख हेक्टेयर से 5.12 लाख हेक्टेयर कम रहा।
इसके तहत सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 126.24 लाख हेक्टेयर से लुढ़ककर 120.43 लाख हेक्टेयर, तिल का बिजाई क्षेत्र 10.86 लाख हेक्टेयर से गिरकर 10.27 लाख हेक्टेयर तथा सूरजमुखी का क्षेत्रफल 71 हजार हेक्टेयर से फिसलकर 68 हजार हेक्टेयर पर अटक गया जबकि दूसरी ओर मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र 47.65 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 47.99 लाख हेक्टेयर,
नाइजरसीड का रकबा 76 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 87 हजार हेक्टेयर और अरंडी का क्षेत्रफल 7.64 लाख हेक्टेयर से उछलकर 8.52 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। खरीफ तिलहन फसलों की बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है और इसकी अगैती बिजाई वाली फसल की कटाई-तैयारी अगले तीन चार सप्ताहों में जोर पकड़ने की उम्मीद है।
गुजरात और राजस्थान जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में किसानों ने इस बार मूंगफली की खेती में अच्छी दिलचस्पी दिखाई है लेकिन वहां क्षेत्रफल बढ़ने के बावजूद उत्पादन में उसके अनुरूप इजाफा होना मुश्किल लगता है क्योंकि कुछ इलाकों में फसल को बाढ़- वर्षा से नुकसान होने की आशंका है।
मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2024-25 सीजन के 6783 रुपए प्रति क्विंटल से 480 रुपए बढ़ाकर 2025-26 सीजन के लिए 7263 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। इससे किसानों का उत्साह कुछ बढ़ गया।

