तप और धर्म ध्यान से आत्मा शुद्ध होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होती है: विभाश्री माताजी

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कोटा। पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के अवसर पर विज्ञान नगर श्री दिगम्बर जैन मंदिर में आयोजित प्रवचन में विभाश्री माताजी ने उत्तम तप धर्म विषय पर मंगल प्रवचन दिया। गुरूमाँ विभाश्री ने श्रावकों को संबोधित करते हुए कहा कि तप, संयम और सात्त्विक आहार ही आत्मा की उन्नति के सच्चे साधन हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में भोग-विलास और विषयासक्ति मनुष्य को पतन की ओर ले जा रही है, जबकि तप और धर्म ध्यान से आत्मा शुद्ध होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होती है।
माताजी ने शास्त्रों का उल्लेख करते हुए बताया कि नरक गति के चार मुख्य द्वार काम, क्रोध, मद और माया हैं। जो व्यक्ति इन दोषों से ग्रसित होता है, उसकी आत्मा अधोगति की ओर प्रवाहित होती है।

उन्होंने आहार पर बल देते हुए कहा कि मांस, मद्य, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन जीव हिंसा को बढ़ाता है और नरक गति का कारण बनता है। इसके विपरीत सात्त्विक एवं अहिंसक आहार आत्मा की शुद्धि और धर्म साधना का आधार है।

साध्वी श्री ने तप के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि तप केवल कष्ट उठाना नहीं है, बल्कि आत्मा को विकारों से दूर कर पवित्रता की ओर ले जाने का साधन है। उन्होंने बाह्य तप उपवास, एकासन, रस परित्याग और आंतरिक तप क्षमा, विनय, सोच, स्वाध्याय और ध्यान दोनों को आत्मकल्याण का मार्ग बताया।

अध्यक्ष विनोद टोरणी एवं कार्याध्यक्ष मनोज जैसवाल ने बताया कि दसलक्षण महापर्व पर 10 उपवास के उपलक्ष्य में मेहंदी एवं विनतियों का कार्यक्रम 4 सितंबर को दोपहर 2 बजे विज्ञान नगर श्री दिगम्बर जैन मंदिर धर्मशाला में आयोजित होगा।