लोकसभा अध्यक्ष ने किया प्रबुद्धजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से संवाद
कोटा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि हमें जीवन में सेवा और समर्पण के साथ स्वदेशी अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि सेवा की भावना का उद्देश्य केवल व्यक्तिगत लाभ नहीं होता, बल्कि समाज और राष्ट्र का कल्याण होता है।
स्वदेशी को अपनाना भी सेवा का ही एक रूप है, क्योंकि इससे देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है, स्थानीय कारीगरों और उद्योगों को सहारा मिलता है और आत्मनिर्भर भारत की राह प्रशस्त होती है।
बिरला सोमवार को झालावाड़ रोड स्थित अग्रवाल सेवा सदन में प्रबुद्धजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से संवाद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें दैनिक जीवन में स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह केवल विचार का हिस्सा न रहकर व्यवहार में उतरे, तभी आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य पूरा होगा।
उन्होंने कहा कि समाज के गरीब और जरूरतमंद तबके तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुँचाना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। सामाजिक कार्यकर्ताओं से उन्होंने आग्रह किया कि वे ऐसे परिवारों की पहचान करें जो अभी भी अभाव में हैं और जिन तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुँच पाया है।
बिरला ने कहा कि जनता ने उन्हें जो विश्वास और जिम्मेदारी सौंपी है, वह केवल पद का दायित्व नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और जीवन-दर्शन का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “गरीब ही हमारे गणेश हैं, उनकी सेवा करना ही हमारी परंपरा और सच्ची उपासना है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में विचारधाराओं का भिन्न होना स्वाभाविक है, लेकिन विकास की दिशा में किसी भी प्रकार का भेदभाव स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। हमारी कार्य-संस्कृति का मूल भाव ‘सर्वहित सर्वोपरि’ होना चाहिए, यही लोकतंत्र की असली आत्मा है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं से आह्वान करते हुए बिरला ने कहा कि वे समाज में सहयोग, समरसता और सेवा की भावना को और मजबूत करें। उन्होंने कहा कि सेवा, समर्पण और सकारात्मक परिवर्तन ही सभी कार्यों का आधार होना चाहिए। इस अवसर पर क्षेत्रीय विकास और सामाजिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा भी हुई।
बिरला ने कहा कि कोटा-बूंदी क्षेत्र की जनता को बेहतर सुविधाएं और समान अवसर उपलब्ध कराना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। आने वाले समय में क्षेत्र की हर समस्या का समाधान प्राथमिकता से किया जाएगा और समग्र विकास में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।

