- सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में 20 साल से लेकर उम्रकैद की सजा
- गैरकानूनी धर्मांतरण में शामिल संस्थानों का पंजीकरण रद्द होगा
- केवल धर्मांतरण के मकसद से की गई शादी अमान्य होगी
जयपुर। राजस्थान सरकार एक सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून लाने जा रही है। राज्य सरकार सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में एक बिल पेश करेगी जिसमें जबरदस्ती, झूठ बोलकर या धोखाधड़ी से कराए गए धर्मांतरण को रोकने के लिए कड़े प्रावधान होंगे। राज्य के कानून और कानूनी मामलों के मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि राजस्थान में अवैध धर्मांतरण से निपटने के लिए कोई खास कानून नहीं है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में रविवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में ‘राजस्थान गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध विधेयक, 2025’ के नए मसौदे को मंजूरी दी गई। मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि पहले का बिल जो पिछले सत्र में पेश किया गया था उसे वापस लिया जाएगा। उसकी जगह यह नया मसौदा पेश किया जाएगा जिसमें कड़े प्रावधान होंगे।
प्रस्तावित कानून में दोषियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। सामान्य मामलों में 7 से 14 साल तक की कैद और कम से कम 5 लाख रुपये का जुर्माना होगा। सामूहिक धर्मांतरण के मामलों में 20 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और कम से कम 25 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव है।
मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि यह विधेयक किसी भी व्यक्ति या संगठन को जोर-जबरदस्ती, अनुचित प्रभाव या धोखाधड़ी से धर्मांतरण कराने से रोकता है। इसमें यह भी प्रावधान है कि यदि शादी केवल धर्मांतरण के मकसद से की गई है तो उसे कानूनी तौर पर अमान्य घोषित किया जाएगा। प्रस्तावित कानून के तहत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
मंत्री जोगाराम पटेल ने यह भी स्पष्ट किया कि अपने पैतृक धर्म में वापस लौटने को कानून के तहत धर्मांतरण नहीं माना जाएगा। प्रस्तावित कानून में नाबालिगों, महिलाओं, दिव्यांगों या एससी/एसटी समुदायों के लोगों का धर्मांतरण कराने के मामले में सजा के तौर पर 10 से 20 साल तक की कैद और कम से कम 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान होगा।
धर्मांतरण के लिए विदेशी या बिना अनुमति के पैसा स्वीकार करने पर 10 से 20 साल की कैद और कम से कम 20 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान होगा। जोर-जबरदस्ती, शादी में धोखाधड़ी, मानव तस्करी या कमजोर पीड़ितों से जुड़े अपराधों में सजा बीस साल से लेकर उम्रकैद तक की कैद और कम से कम 30 लाख रुपये तक की जुर्माना होगी।
मसौदे के अनुसार, बार-बार अपराध करने वालों को उम्रकैद तक की सजा सुनाई जा सकती है। साथ ही इन पर कम से कम 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। गैरकानूनी धर्मांतरण में शामिल संस्थानों का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। साथ ही राज्य की तरफ से मिलने वाली मदद बंद की जा सकती है। गैरकानूनी धर्मांतरण के लिए इस्तेमाल की गई संपत्तियों की जांच के बाद उन्हें जब्त किया जा सकता है या गिराया जा सकता है।

