कोटा। दाधीच समाज के लोगों ने रविवार को श्री महर्षि दधीचि छात्रावास समिति में महर्षि दधीचि जयंती महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया।
अध्यक्ष रविन्द्र जोशी देहित ने बताया कि समाजबंधुओं ने हवन, पूजन, शोभायात्रा, रक्तदान एवं कन्या धात्री माताओं तथा प्रतिभाओं का सम्मान कर त्याग और दान की प्रतिमूर्ति महर्षि दधीचि को स्मरण किया। इसके उपरांत इस वर्ष कन्या धात्री 8 महिलाओं को मंच पर चुनरी ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।
साथ ही सांस्कृतिक संध्या में खेल प्रतिभाओं और विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया। समाज द्वारा आयोजित रक्तदान शिविर में 70 यूनिट रक्तदान हुआ।
महामंत्री निमेष पुरोहित ने बताया कि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी चंद्रप्रकाश दोराश्री एवं विशिष्ट अतिथि सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर दधीच, माइनिंग इंजीनियर राजेन्द्र भट्ट और पशु चिकित्सालय अधीक्षक गणेश दत्त दाधीच उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन उमेश जोशी ने किया।
मुख्य अतिथि चंद्रप्रकाश दोराश्री ने कहा कि दधीचि जयंती समारोह केवल धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि समाज-संस्कार और सेवा भावना का उत्सव है, जो समाज के सभी वर्गों को जोड़ता है और युवा पीढ़ी में आदर्शों की स्थापना करता है।
नागेश दधीच ने बताया कि प्रातः 7 बजे मां दधिमति माता मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक एवं पूजन संपन्न हुआ। आचार्यों द्वारा किए गए सामूहिक हवन में श्रद्धालुओं ने विश्व कल्याण के लिए आहुति अर्पित की और शहर की मंगलकामनाएँ कीं।
समिति की महिला अध्यक्ष स्मिता शर्मा और मंत्री अंबिका शर्मा ने बताया कि इस वर्ष कन्या जन्म देने वाली 8 महिलाओं को मंच पर चुनरी ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। साथ ही सेवानिवृत्त एवं नव नियुक्त अधिकारियों, धात्री माताओं एवं मातृशक्ति, खेल एवं सांस्कृतिक संध्या के विजेताओं, मेधावी छात्र-छात्राओं (सेकेंडरी, सीनियर सेकेंडरी, मेडिकल, IIT, IIM, CA आदि में उपलब्धि प्राप्त) तथा भामाशाहों सहित कुल 112 व्यक्तियों को प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो प्रदान किए गए।
शोभायात्रा में उमड़ा समाज
शोभायात्रा का आयोजन दधीच छात्रावास से आकाशवाणी मुख्य मार्ग होते हुए नाग-नागिन मंदिर से पुनः छात्रावास समिति तक किया गया। संयोजक राजेश दधीच और गोपाल दधीच (नृसिंह) ने बताया कि शोभायात्रा में दो श्वेत अश्वों के पीछे मां दधिमति की पालकी, महर्षि दधीचि की झांकी और शिव परिवार व राम दरबार की झांकियाँ सजाई गई थीं। महर्षि दधीचि की जीवंत झांकी आकर्षण का केंद्र रही।

