दशलक्षण पर्व की पूर्व संध्या पर बच्चों ने प्रस्तुत किए दस धर्मों का महत्व
कोटा। दशलक्षण पर्व की पूर्व संध्या पर आयोजित धार्मिक सभा में प्रज्ञासागर महाराज ने गृहस्थ जीवन और गणपति के स्वरूप का अद्भुत सामंजस्य बताते हुए कहा कि गृहपति को भी गणपति की तरह सूक्ष्म दृष्टि, सहनशीलता, मधुरता और संयम से युक्त होना चाहिए।]
गुरूदेव ने कहा कि गणपति एकदंत, लंबोदर, विशाल कान, सूंड और चूहे की सवारी के माध्यम से गृहस्थ जीवन के अनेक संदेश देते हैं। छोटी आंखें संकेत करती हैं कि गृहपति को घर–परिवार की हर बात पर सूक्ष्म दृष्टि रखनी चाहिए। कोई न बताए तब भी स्थिति का भान हो। लंबोदर यह शिक्षा देता है कि गृहपति को सभी बातों को सहन कर परिवार में सामंजस्य बनाए रखना चाहिए।
आचार्य श्री ने कहा कि जैसे मुख भोजन को ग्रहण कर शरीर के हर हिस्से तक पोषण पहुंचाता है, वैसे ही गृहपति को अपने श्रम और आय का उपयोग पूरे परिवार की भलाई में करना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हाथी खाने से पहले भोजन को सूंड से बिखेरता है, उसी प्रकार गृहपति जो कमाए वह पूरे परिवार तक पहुंचे।
गुरूदेव ने समझाया कि बड़े कान गृहपति को यह शिक्षा देते हैं कि अनावश्यक बातों को सुनकर बाहर कर देना चाहिए अन्यथा तनाव और अवसाद का कारण बन सकता है। गणपति की सवारी चूहा यह संदेश देती है कि गृहपति की दृष्टि घर के हर कोने तक होनी चाहिए, ताकि कोई वस्तु व्यर्थ न पड़ी रहे। मोदक की तरह गृहपति का स्वभाव भी बाहर- भीतर से मधुर होना चाहिए, जिससे परिवार और समाज में सौहार्द और एकता स्थापित हो।
दशलक्षण पर्व की पूर्व संध्या पर दस बच्चों ने दस धर्मों का महत्व प्रस्तुत किया। उत्तम क्षमा धर्म ने कहा कि मेरा नाम क्षमा है और क्रोध करना मेरा काम नहीं है। उत्तम मार्दव धर्म ने संदेश दिया कि मान–सम्मान के लिए जीवन नहीं लिया, बल्कि मान–कषाय को त्यागकर मोक्ष की प्राप्ति के लिए जन्म लिया।
इसी प्रकार उत्तम आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रह्मचर्य धर्म की व्याख्या बच्चों ने प्रस्तुति के माध्यम से की, जिसे आचार्य प्रज्ञा सागर ने अपने प्रवचन से और अधिक स्पष्ट किया। सभी धर्मरूपी बने बच्चो ने गुरूवर प्रज्ञासागर की प्रक्रिमा कर संदेश दिया कि यह धर्म केवल गुरू के साथ ही घूमते हैं।
दशलक्षण पर्व पर सांस्कृतिक संध्या आज
आचार्य प्रज्ञासागर के सान्निध्य में दशलक्षण महापर्व के पावन अवसर पर भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन 28 अगस्त को रात्रि 8 बजे प्रज्ञालोक, महावीर नगर प्रथम, कोटा में किया जाएगा। कार्यक्रम की सूत्रधार रेणु जैन ने बताया कि आयोजन श्री महावीर दिगम्बर जैन महिला मण्डल, तलवंडी, कोटा द्वारा संपन्न होगा, जिसमें “त्रिशला के लाल की खोज” विशेष प्रस्तुति दी जाएगी। कार्यक्रम में जीयो ओर जीने दो का संदेश देकर नृत्य नाटिका का आयोजन किया जाएगा।

