मुम्बई। घरेलू बाजार भाव उछलकर गत तीन वर्ष के शीर्ष स्तर पर पहुंचने से देश में पिछले पांच साल में पहली बार विदेशों से रेपसीड तेल मंगाया जा रहा है।
एक अग्रणी उद्योग विश्लेषक के अनुसार संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से कुल 6000 टन रेपसीड तेल का आयात अनुबंध किया गया और इसका शिपमेंट भी हो चुका है। रेपसीड तेल के इस स्टॉक से लदा जहाज चालू सीजन के अंत तक गुजरात के कांडला बंदरगाह पर पहुंच जाने की संभावना है।
उल्लेखनीय है कि दुनिया में खाद्य तेलों के सबसे प्रमुख आयातक देश- भारत में मुख्यतः इंडोनेशिया एवं मलेशिया से पाम तेल, अर्जेन्टीना एवं ब्राजील से सोयाबीन तेल तथा रूस एवं यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात होता है।
रेपसीड (सरसों) तेल का हाजिर बाजार भाव उछलकर जुलाई में 1,67,000 रुपए (1914 डॉलर) प्रति टन पर पहुंच गया जो फरवरी 2022 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर और गत वर्ष की समान अवधि की कीमत से करीब 34 प्रतिशत ज्यादा है।
उद्योग विश्लेषक के अनुसार घरेलू बाजार भाव में आई जबरदस्त तेजी ने विदेशों से इसके आयात का द्वार खोल दिया। चूंकि सरसों की अगली नई फसल मार्च 2026 से आनी शुरू होगी जो अभी बहुत दूर है इसलिए बीच की अवधि में रेपसीड तेल की और अधिक मात्रा का आयात हो सकता है।
भारत में सोयाबीन तेल का आयात भी तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि अनेक आयातक महंगे रेपसीड तेल के बजाए सस्ते सोयाबीन तेल के आयात को प्राथमिकता दे रहे हैं।
घरेलू प्रभाग में रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल-सरसों की बिजाई अक्टूबर-नवम्बर में आरंभ होगी और इसकी कटाई-तैयारी मार्च-अप्रैल में जोर पकड़ेगी। पिछले कुछ महीनों से सरसों एवं इसके तेल का बाजार भाव काफी ऊंचा एवं मजबूत चल रहा है।
करीब पांच वर्ष पूर्व रेपसीड-कैनोला तेल का आयात हुआ था लेकिन उसके बाद यह बंद हो गया। निकट भविष्य में सरसों तेल के दाम में ज्यादा गिरावट आने की संभावना नहीं है क्योंकि त्यौहारी सीजन में अक्सर इसकी मांग एवं खपत बढ़ जाती है। सरसों का भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है।

