मुंबई। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने केवल हॉलमार्क वाले आभूषणों की बिक्री को अनिवार्य बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए नियमों का एक मसौदा जारी किया है। इसमें हॉलमार्क आभूषण बेचने वाले जौहरियों का बीआईएस के साथ पंजीकरण अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव है।
एक बार जौहरियों के बीआईएस के साथ पंजीकरण कराने के बाद केवल हॉलमार्क वाले गहनों की ही बिक्री हो सकेगी। हालांकि इससे गहनों की ऑनलाइन बिक्री बंद हो जाएगी क्योंकि बीआईएस पंजीकरण केवल दुकानों को दिया जाता है। इस बारे में व्यापार और उद्योग से जुड़ी कई संस्थाओं ने सरकार को ज्ञापन दिया है जिनमें इंडियन एसोसिएशन ऑफ हॉलमार्किंग सेंटर्स भी शामिल है।
सरकार ने आश्वासन दिया है कि हॉलमार्क वाले आभूषणों की ऑनलाइन बिक्री की इजाजत देने के लिए कुछ रास्ता निकल आएगा। एक ज्ञापन में कहा गया है कि फिलहाल 25,000 जौहरियों के पास गहने बेचने के लिए बीआईएस का लाइसेंस है। अगर बीआईएस हॉलमार्किंग नियमों के मसौदे को लागू किया गया तो 300,000 से अधिक जौहरियों और दुकानों को व्यक्तिगत रूप से व्यक्तिगत रूप से पंजीकरण कराना होगा और सालाना शुल्क चुकानी होगी।
इससे पहले बीआईएस ने हॉलमार्किंग केंद्रों से केवल कुछ श्रेणियों के गहनों पर ही मुहर लगाने को कहा था। सोने की छड़ों और सिक्कों पर गोल्ड रिफाइनरियों द्वारा ही हॉलमार्किंग किया जाता है। फिक्की की रत्न एवं आभूषण समिति के अध्यक्ष संजीव अग्रवाल ने कहा, ‘अगर प्रस्तावित नियमों को लागू किया जाता है तो इससे अधिक से अधिक जौहरियों के हॉलमार्क वाले गहने बेचने का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकेगा।