भैंसरोड़गढ़ में वन्यजीव अपराध पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सम्पन्न
कोटा। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिज़र्व के भैंसरोड़गढ़ में वन्यजीव अपराध पर केंद्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का पगमार्क फाउंडेशन और शेर संस्था द्वारा सफल आयोजन किया गया। यह कार्यशाला राजस्थान में इस विषय पर आयोजित होने वाली पहली राष्ट्रीय कार्यशाला रही, जिसमें देशभर से आए वन्यजीव विशेषज्ञों, अधिकारियों, शोधकर्ताओं और विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
शेर संस्था के कृष्णेन्द्र नामा ने बताया कि कार्यशाला में वन्यजीव अपराध की वर्तमान चुनौतियों, अवैध शिकार व तस्करी की रोकथाम, आधुनिक तकनीकों के उपयोग और कानूनी प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा हुई। साक्ष्य संग्रहण और संरक्षण की फोरेंसिक रूप से सुदृढ़ प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण दिया गया।
पगमार्क फाउंडेशन के अध्यक्ष देवव्रत सिंह हाड़ा ने कहा कि भारत का वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 हमारे देश में जैव विविधता को बचाने की सबसे महत्वपूर्ण कानूनी ढाल है। इस अधिनियम के तहत बाघ, शेर, हाथी, गैंडा और तेंदुआ जैसी कई संकटग्रस्त प्रजातियों को उच्चतम स्तर की कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है।
हाल ही में इसमें संशोधन कर दंड और दायित्व और कठोर किए गए हैं, ताकि वन्यजीव अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई हो सके। वन्यजीव अपराध रोकने के लिए केवल कानून ही नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीक (जैसे ड्रोन सर्विलांस, कैमरा ट्रैप, DNA फॉरेंसिक) और स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी भी ज़रूरी है। अगर कानून और विज्ञान एक साथ लागू किए जाएं तो वन्यजीव अपराधों पर निश्चित ही प्रभावी अंकुश लगाया जा सकता है।
उप वन संरक्षक अनुराग भटनागर ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं राज्य और देश दोनों स्तर पर वन्यजीव अपराधों की रोकथाम के लिए नई दिशा तय करती हैं। वन्यजीव अपराध रोकने के लिए केवल कानून काफ़ी नहीं है, इसके लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी और आधुनिक तकनीक का उपयोग ज़रूरी है।
पूर्व रेजर नवनीत शर्मा ने कहा कि हर नागरिक को अधिकार है अपराध रोकने का और वन्यजीव संरक्षण में फील्ड स्टाफ़ की ट्रेनिंग और त्वरित कार्रवाई अहम है। ज़मीनी स्तर पर सतर्कता से ही अपराधों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
विशेषज्ञ संजीव गौतम ने कहा कि हर प्रजाति पारिस्थितिकी तंत्र की कड़ी है। किसी एक प्रजाति का लुप्त होना पूरे पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित करता है। इसलिए संरक्षण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझना होगा। वन्यजीव कानून, वन्यजीव अपराध, तस्करी और अदालत में अपनाई जाने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं की जानकारी भी दी।
सर्प एक्सपर्ट हरपाल सिंह ने कहा कि साँपों को लेकर भ्रांतियाँ ही उनके अवैध शिकार का कारण हैं। जनजागरूकता बढ़ाकर और सही जानकारी देकर ही इन उपयोगी जीवों की रक्षा की जा सकती है।
समापन सत्र में पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक विट्ठल सनाढ्य ने कहा जनजागरूकता, तकनीकी साधनों का बेहतर इस्तेमाल और संस्थागत सहयोग ही वन्यजीव अपराध पर प्रभावी रोक लगाने की कुंजी बनेगा।

