नई दिल्ली। खरीफ सीजन के सबसे महत्वपूर्ण मोटे अनाज- मक्का की खेती में इस बार उम्मीद के अनुरूप भारतीय किसान जबरदस्त दिलचस्पी दिखा रहे हैं जिससे इसका बिजाई क्षेत्र उछलकर 91.90 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है।
यह बिजाई क्षेत्र गत वर्ष की समान अवधि के रकबा 87.15 लाख हेक्टेयर से 8.75 लाख हेक्टेयर तथा सामान्य (पंचवर्षीय) औसत क्षेत्रफल 78.95 लाख हेक्टेयर से करीब 14 लाख हेक्टेयर अधिक है।
पिछले साल के मुकाबले इस बार अधिकांश प्रमुख उत्पादक राज्यों में मक्का के उत्पादन क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है और मौसम तथा मानसून की हालत अनुकूल होने से इसकी शानदार पैदावार होने की उम्मीद की जा रही है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 8 अगस्त 2025 तक मोटे अनाजों का कुल घरेलू उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 170.96 लाख हेक्टेयर से 7.77 लाख हेक्टेयर बढ़कर 178.73 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जिसमें अकेले मक्का का योगदान 50 प्रतिशत से ज्यादा है।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान मोटे अनाजों के संवर्ग में ज्वार का उत्पादन क्षेत्र 13.96 लाख हेक्टेयर से गिरकर 13.69 लाख हेक्टेयर तथा बाजरा का बिजाई क्षेत्र 65.76 लाख हेक्टेयर से घटकर 13.96 लाख हेक्टेयर से गिरकर 13.69 लाख हेक्टेयर तथा बाजरा का बिजाई क्षेत्र 65.76 लाख हेक्टेयर से घटकर 64.86 लाख हेक्टेयर रह गया।
जबकि रागी का रकबा 4.15 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 4.41 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। दूसरी ओर स्मॉल मिलेट्स का बिजाई क्षेत्र पिछले साल के 3.93 लाख हेक्टेयर से फिसलकर इस बार 3.88 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2024-25 सीजन के 2225 रुपए प्रति क्विंटल से 175 रुपए बढ़ाकर 2025-26 सीजन के लिए 2400 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जबकि खुला बाजार भाव इससे ऊपर रहने की उम्मीद है।
पशु आहार, पॉल्ट्री फीड एवं स्टार्च निर्माण उद्योग में विशाल मात्रा में मक्का की खपत परम्परागत रूप से होती रही है जबकि अब एथनॉल निर्माण उद्योग में इसका उपयोग अत्यन्त तेजी से बढ़ने लगा है।
मानवीय खाद्य उद्देश्य में भी मक्का का इस्तेमाल होता है और देश से थोड़ी-बहुत मात्रा में इसका निर्यात भी किया जाता है। पहले भारी मात्रा में इसका शिपमेंट हो रहा था।
मक्का के प्रमुख उत्पादक राज्यों में कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, बंगाल एवं उत्तर प्रदेश आदि शामिल हैं। अधिकांश इलाकों में बिजाई की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और गत वर्ष के मुकाबले इसके कुल उत्पादन क्षेत्र में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है। मक्का की फसल का उचित ढंग से विकास हो रहा है और सितम्बर के अंत या अक्टूबर के आरंभ से इसकी कटाई-तैयारी शुरू हो जाने की संभावना है।

