कोटा में रक्षाबंधन पर्व को इस बार मिलेगा आध्यात्मिक आयाम
कोटा। कोटा में इस बार रक्षाबंधन पर्व केवल भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक नहीं रहेगा। बल्कि इसे एक दिव्य, आध्यात्मिक और सामाजिक सरोकार से जोड़ते हुए मुनिरक्षा, धर्मरक्षा एवं वात्सल्य दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह विशिष्ट आयोजन प्रज्ञासागर महाराज ससंघ के पावन सान्निध्य एवं निर्देशन में संपन्न होगा।
गुरू आस्था परिवार, कोटा इस आयोजन की प्रमुख भूमिका निभा रहा है, जबकि दिगंबर जैन समाज, महावीर नगर प्रथम सहयोगी संस्था के रूप में जुड़ा है। आयोजन का समन्वय श्री सकल दिगंबर जैन समाज समितिकोटा द्वारा किया जा रहा है।
धर्मसंवेदना का होगा संगम
जैनाचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ने कहा कि रक्षाबंधन का यह आयोजन एक सांस्कृतिक पर्व को धर्मरक्षा, मुनिरक्षा एवं वात्सल्य के दिव्य भाव से जोड़ता है। उन्होंने बताया कि यह दिवस भगवान श्रेयांशनाथ के मोक्ष कल्याणक, मुनि विष्णुकुमार द्वारा अकंपनाचार्य और उनके 700 मुनि शिष्यों की रक्षा की स्मृति में भी समर्पित है। इसीलिए 70 दंपत्तियों द्वारा 700 मुनिराजों के श्रीचरणों में श्रीफल अर्पण का आयोजन प्रतीकात्मकता होगा।
दुख को समझे बिना उसकी मुक्ति संभव नहीं
आचार्य प्रज्ञासागर मुनिराज ने मंगलवार को अपने प्रवचन में कहा कि जो व्यक्ति जीवन की घटनाओं को केवल बाहरी दृष्टि से देखता है, वह दुख का सच्चा कारण कभी नहीं समझ पाता। गुरुदेव ने कहा कि हम कहते तो हैं कि हम दुखी हैं, लेकिन उस दुख को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं होते। यह अस्वीकृति ही जीवन की सबसे बड़ी विडंबना है। बीमारी होने पर दवाई नहीं लेंगे तो बीमारी नहीं जाएगी। उसी प्रकार दुख को समझे बिना उसकी मुक्ति संभव नहीं। उन्होंने कहा कि असली दुख वह है जो आत्मा को मोक्ष के मार्ग से भटकाता है।

