कोटा। गणिनी प्रमुख विभाश्री माताजी एवं आर्यिका विनयश्री माताजी के ससंघ सान्निध्य में विज्ञान नगर स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर परिसर में मोक्ष सप्तमी महोत्सव का भव्य आयोजन गुरुवार को अपार श्रद्धा और भक्ति के साथ संपन्न हुआ।
भगवान पार्श्वनाथ के निर्वाण दिवस के इस पुण्य अवसर पर हजारों श्रद्धालुओं ने सहभागिता दर्ज कराई। इस अवसर पर ‘पार्श्वनाथ तेरा नाम है सबसे प्यारा’ आदि भक्ति गीतों के मधुर स्वरों के बीच संगीतमय अभिषेक एवं पूजन व विधान संपन्न हुआ।
मंदिर अध्यक्ष राजमल पाटौदी के अनुसार, कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 6 बजे जिनबिंब अभिषेक, सहस्त्रनाम अभिषेक, शांतिधारा और श्री सम्मेद शिखर विधान से हुआ। महामंत्री अनिल ठोरा ने बताया कि विधान के दौरान 24 तीर्थंकरों के टोंकों पर 24 निर्वाण लाडू विभिन्न पुण्यार्जक परिवारों द्वारा अर्पित किए गए।
विशेष आकर्षण के रूप में भगवान पार्श्वनाथ के टोंक पर 23 किलो का प्रमुख निर्वाण लाडू श्रद्धापूर्वक अर्पित किया गया। 108 दीपकों से भव्य आरती का आयोजन किया गया। इस पावन अवसर पर भगवान को शांति धारा अर्पित की गई तथा अष्टद्रव्य से विशेष पूजन संपन्न हुआ। सम्यक श्री विधान का भी आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की। स्वर्ण भद्र कूट पर सौधर्म इन्द्र परिवार ने निर्वाण लाडू चढ़ाया गया।
सम्मेद शिखर की प्रतीकात्मक रचना
इस वर्ष का मुख्य आकर्षण मंदिर परिसर में निर्मित सम्मेद शिखर जी पर्वत की प्रतीकात्मक रचना रही। 60×60 फीट क्षेत्रफल में 18 फीट ऊंचाई के साथ निर्मित इस भव्य रचना में 26 निर्वाण टोंक, गुफा मार्ग, चैत्यालय कुंड, जल मंदिर, शीतल नाला और गंधर्व नाला को कलात्मक रूप से स्थापित किया गया।
क्षमाशील बनें हम
पूज्य गणिनीश्री ने भगवान पार्श्वनाथ के जीवन चरित्र एवं धर्म समर्पण पर आधारित सारगर्भित प्रवचन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा, श्रवण, मनन, विचार और आत्मा की अनुभूति से ही मोक्ष संभव है। भगवान पार्श्वनाथ स्वामी का जीवन हमें सिखाता है कि क्रोध की मूर्ति भी तपस्या और क्षमा से भगवान बन सकती है।

