कोटा। तपोभूमि प्रणेता, पर्यावरण संरक्षक एवं जैनाचार्य प्रज्ञासागर जी मुनिराज का 37वां चातुर्मास महावीर नगर प्रथम स्थित प्रज्ञालोक में बुधवार को भी जारी रहा। आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा, “जो मन के हिसाब से चलता है, वह संसारी होता है और जिसके हिसाब से मन चलता है, वह संन्यासी बनता है।
उन्होंने जीवन को कल्याणकारी और मोक्ष मार्ग पर अग्रसर करने के लिए मन को वश में रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।आचार्य श्री ने कहा, यदि हम मन के अनुसार चलेंगे, तो यह हमें संसार के मोहजाल में भटका देगा। लेकिन जब मन हमारे नियंत्रण में होगा, तभी हमारा आत्मिक कल्याण संभव है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “जैसे एक नए मकान के पूजन के बाद उसे खाली छोड़ देने पर उसमें भवनवासी देवताओं का वास हो सकता है, वैसे ही हमें अपने मन को भी पूज्य बनाना चाहिए। ताकि उसमें भगवान का वास हो सके। इसके लिए मन को सांसारिक मोह-माया से दूर रखना होगा।”
चैयरमेन यतीश जैन खेडावाला ने बताया कि गुरूवार को पौधारोपण वितरण अभियान के तहत गुरूदेव प्रज्ञासागर महाराज 250 पौधा का वितरण करेंगे।

