निंदा करने से जीव धीरे-धीरे नरक को प्राप्त हो जाता है: आर्यिका विभाश्री माताजी

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी एवं विनयश्री माताजी (ससंघ) का 13 पिच्छियों सहित चातुर्मास प्रभावपूर्वक संपन्न हो रहा है। माता विभाश्री ने प्रवचन में कहा कि रात्रि भोजन करना नरक का पहला द्वार है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि जैन दर्शन के अनुसार तीन लोक की रचना में अधोलोक में सात नरक होते हैं। सप्त व्यसनों का सेवन करने से, बहुत अधिक आभूषण परिग्रह करने से तथा तीव्र क्रोध करने से, धर्म एवं धर्मात्मा पर उपहास तथा निंदा करने से बहुत अधिक पाप कर्म का संचय करने से गृहस्थ जीव धीरे-धीरे दुःखों के स्थान नरक भूमि को प्राप्त हो जाता है।

माताजी ने अपने सिद्ध मंत्र में कहा, मंजिल बहुत दूर है इसीलिए मुझे निरंतर चलते रहना है। यदि रुक-रुक कर चलते रहेंगे, एक दिन मोक्ष की मंजिल को प्राप्त कर लेंगे। मंजिल बहुत दूर है, मोक्ष रूपी मंजिल हमें दिखाई नहीं देती। उन्होंने आगे कहा, कछुए की तरह हमें रुकना नहीं है। खोए खजाने की तरह सोना नहीं है। जो सो जाता है वह खो जाता है, वह अपनी मंजिल को प्राप्त नहीं कर पाता।