कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में गणिनि आर्यिका विनय श्री माताजी के सान्निध्य में चातुर्मास प्रवास जारी है। मंदिर अध्यक्ष राजमल पाटौदी ने बताया कि बुधवार को इसी श्रृंखला में तत्वार्थ सूत्र प्रशिक्षण शिविर का विधिवत शुभारंभ हुआ।
प्रथम दिवस पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आर्यिका विनय श्री माताजी ने जैन दर्शन की गूढ़ व्याख्या करते हुए कहा कि जैन धर्म केवल कर्मकांड नहीं, अपितु भावों की शुद्धता एवं आत्मकल्याण का मार्ग है। यहां साधक की भक्ति परमार्थ की ओर अग्रसर होती है, न कि केवल लौकिक उपलब्धियों की ओर।
माताजी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे किसान गेहूं बोने का लक्ष्य लेकर खेत जोतता है और साथ में भूसा स्वतः प्राप्त हो जाता है, वैसे ही सच्चे साधक को परमार्थ के साथ लौकिक उपलब्धियां अपने आप मिल जाती हैं।
माताजी ने तत्वार्थ सूत्र के विभिन्न सूत्रों पर भी प्रकाश डाला और साधकों को इसके अध्ययन व चिंतन के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर आर्यिका श्री विनयश्री माताजी ने भी शिविर में सहभागियों का मार्गदर्शन किया एवं सायं काल सत्र में गुरु भक्ति एवं आनंद यात्रा के माध्यम से भक्तों को भाव विभोर कर दिया।

