अठतालीस गुणों से युक्त सिद्धपरमेष्ठी भगवान की आराधना हुई सम्पन्न

0
10

कोटा। दिगंबर जैन मंदिर, विज्ञान नगर कोटा में गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी के सानिध्य में चातुर्मास जारी है। अध्यक्ष राजमल पाटौदी ने बताया कि इस आयोजन में भक्तामर विधान, तत्वार्थ सूत्र की कक्षा, और सिद्ध परमेष्ठी भगवान की अर्घ्य पूजा जैसे पावन अनुष्ठानों ने श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर दिया।

गणिनी माताजी ने धर्मसभा में संबोधित करते हुए भक्तामर स्तोत्र की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि यह स्तोत्र सबसे अधिक लोकप्रसिद्ध है, जिसे देशभर के 500 से अधिक कवियों ने पद्यानुवाद के रूप में प्रस्तुत किया है। नित्य पाठ में इसका नियमित रूप से पठन किया जाता है। यह न केवल स्तोत्र है, बल्कि मंत्र, तंत्र, यंत्र और चमत्कारिक प्रभावों से युक्त है। जिसकी रचना आचार्य मानतुंग ने संस्कृत भाषा में की थी। यह स्तोत्र भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव) की स्तुति में लिखा गया है और इसे जैन धर्म के अद्भुत रत्नों में गिना जाता है

मंदिर समिति के महामंत्री अनिल ठौरा ने बताया कि भक्तामर स्रोत के अंतर्गत 48 काव्य में से प्रतिदिन एक काव्य के रहस्य माताजी द्वारा बताई जाएगे श्रद्धालुओं ने अनंत दर्शन, ज्ञान, अवगाहनत्व, वीर्यत्व, अव्याधत्व जैसे उनके दिव्य गुणों का स्मरणकरते हुए अर्घ्य समर्पण किए।

धर्मसभा के पूर्व तत्वार्थ सूत्र की नियमित कक्षा का शुभारंभ हुआ। जिसका पूर्णाजन श्री एम एल पाटौदी कर सलाहकार वल्लभनगर द्वारा किया गया तत्वार्थ सूत्र की कक्षा प्रातः 8 से 9 बजे तक आयोजित की जाती है। चातुर्मास के अंतर्गत यह सत्र प्रतिदिन संचालित होगा।