केन्द्र सरकार का ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री शुरू करने का संकेत

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नई दिल्ली। घरेलू मंडियों में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति काफी हद तक सुगम बनी हुई है और मिलर्स / प्रोसेसर्स द्वारा इसकी खरीद में विशेष जल्दबाजी नहीं दिखाई जा रही है। इस बीच केन्द्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अपने स्टॉक से गेहूं की बिक्री शुरू करने का संकेत देते हुए उसका न्यूनतम आरक्षित मूल्य भी 2550 रुपए प्रति क्विटल नियत कर दिया है।

इससे बाजार पर कुछ हद तक मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ने की संभावना है। समझा जाता है कि निकट भविष्य में गेहूं के दाम में जोरदार तेजी-मंदी नहीं आएगी और बाजार एक निश्चित दायरे में ही घूमता रह सकता है।

5-11 जुलाई वाले सप्ताह के दौरान दिल्ली में गेहूं का भाव 10 रुपए सुधरकर 2745/2750 रुपए प्रति क्विटल पर पहुंच गया लेकिन गुजरात, मध्य प्रदेश एवं राजस्थान की मंडियों में इसका भाव कमजोर रहा। देवास में यह 100 रुपए घटकर 2450/3000 रुपए प्रति क्विटल, डबरा में 50 रुपए गिरकर 2530/2570 रुपए प्रति क्विटल रहा। इटारसी में 40 रुपए गिरकर 2485/2500 रुपए प्रति क्विटल पर आ गया।

राजस्थान के कोटा में गेहूं का दाम 50 रुपए घटकर 2450/2600 रुपए प्रति क्विंटल तथा बूंदी में 10 रुपए फिसलकर 2450/2490 रुपए प्रति क्विटल रह गया। उत्तर प्रदेश की मंडियों में समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान आमतौर पर 10 से 30 रुपए प्रति क्विटल तक का सुधार दर्ज किया गया लेकिन गोंडा में यह 55 रुपए की वृद्धि के साथ 2530 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंचा।

महाराष्ट्र की जालना मंडी में भी 50 रुपए की तेजी दर्ज की गई। सप्ताह के आरंभ में दिल्ली में 10 हजार बोरी गेहूं की आवक हुई जो घटते-बढ़ते अंत में 8 हजार बोरी रह गई। मध्य प्रदेश तथा राजस्थान की मंडियों में भी अच्छी आवक हो रही है।

स्टॉक सीमा: यही स्थिति उत्तर प्रदेश की कुछ मंडियों की है। ऐसा प्रतीत होता है कि भंडारण सीमा के लागू होने से व्यापारियों को गेहूं के स्टॉक एवं कारोबार में काफी कठिनाई हो रही है।